राजस्थान में ऊंटों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. यह गिरावट इतनी ज्यादा है कि देश में अब महज 2.52 लाख ऊंट ही रह गए हैं. चूंकि राजस्थान में देश के सबसे अधिक ऊंट रहते हैं, इसीलिए यहां गिरावट सबसे अधिक देखी गई. प्रदेश में देश के 85 फीसदी ऊंट हैं. इस गिरावट को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने इस बजट में उष्ट्र संरक्षण योजना की शुरूआत की है. राज्य पशु ऊंट के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने इस योजना के इंटीग्रेटेड वेब पोर्टल का उद्घाटन पिछले महीने किया था.
उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत बीते एक महीने में 16 हजार से अधिक ऊंट पालकों ने पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया है. आवेदन आईओएमएमएस पोर्टल के माध्यम से लिए जा रहे हैं. पशु पालन विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से विभाग के पास अच्छी संख्या में ऊंट पालकों के अधिकृत आंकड़े भी मिल रहे हैं. इस डेटा का उपयोग विभाग आने वाले दिनों में ऊंटों के संरक्षण और संवर्धन के लिए करेगा.
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उष्ट्र संरक्षण योजना का लाभ ऊंट पालक ले सकते हैं. इस योजना के तहत ऊंटने के ब्याने के दो महीने के अंदर ऊंट पालक आवेदन कर सकते हैं. 0-2 माह के टोडियों के जन्म पर योजना का लाभ देय होता है. इसके बाद ऊंट पालक के खाते में पांच हजार रुपए डाले जाएंगे. कुणाल कहते हैं कि विभाग को पूरी उम्मीद है कि इस योजना से प्रदेश में ऊंटों की संख्या में इजाफा होगा. साथ ही ऊंट पालकों पर भी वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा.
उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत राज्य सरकार ऊंटों के भरण-पोषण के लिए दो किश्तों में 10 हजार रुपये दे रही है. योजना का लाभ लेने के लिए ई-मित्र से ऊंट पालक को आवेदन करना होगा. आवेदन के बाद टोडिया के जन्म से दो महीने का होने तक नजदीकी पशु चिकित्सक से माध्यम से भौतिक सत्यापन किया जाएगा.
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इसके बाद टोडिया के एक साल का होने पर दूसरा भौतिक सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद ऊंट पालक के खाते में दूसरी किश्त के पांच हजार रुपये डाले जाएंगे. इस योजना का लाभ ऊंटनी के दूसरी बार ब्याने पर भी दिया जाएगा, लेकिन ऊंटनी का रजिस्ट्रेशन 15 महीने पुराना होना चाहिए.
राजस्थान में ऊंटों की कम होती संख्या को ध्यान में रखते हुए 2016 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना की शुरूआत की थी. इसके तहत भी ऊंट पालकों को 10 हजार रुपए दिए जाते थे. योजना के तहत 2016 से 2020 तक 3.13 करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे. लेकिन 2019 के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई.
उष्ट्र विकास योजना के तहत टोडिया के पैदा होने पर तीन हजार रुपये, 9 महीने का होने पर तीन हजार और फिर 18 महीने का होने पर चार हजार रुपये की सहायता दी जाती थी. 2019 से 2022 तक योजना के तहत किसी भी ऊंट पालक को सहायता नहीं दी गई.
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