राजस्थान में भेड़ पालन एक सदियों पुराना काम है. भेड़ पालन में राज्य का देश में चौथा स्थान है. भेड़ पालक चरवाहे अपनी भेड़ों को चराने के लिए सैंकड़ों सालों से घूमंतु जीवन जीते हैं. आज भी यह काम जारी है. दरअसल, भेड़ पालक भेड़ों के चराने के लिए साल में दो बार पलायन या निकासी करते हैं. जिसमें एक जुलाई से 31 अक्टूबर तक स्थाई और एक नवंबर से 30 जून तक अस्थाई पलायन होता है. इस साल भी हजारों की संख्या में पशुपालक प्रदेश के अलग-अलग जिलों से भेड़ों को चराने के लिए दूसरे जिलों और राज्यों में जाएंगे. इसीलिए बीते कुछ सालों से राज्य सरकार भी इसे लेकर सतर्क हुई है.
प्रदेश की मुख्य सचिव उषा शर्मा ने भेड़ पालकों के पलायन को देखते हुए सभी जिलों के कलक्टर और एसपी को चरवाहों और भेड़ों की सुरक्षा के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने कहा कि भेड़ पालकों की राज्य और जिलों से निकासी को सुविधाजनक बनाया जाए.
सीएस उषा शर्मा ने सचिवालय में भेड़ों की निकासी के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सभी जिलों के कलक्टर और जिला पुलिस अधीक्षकों से बात की. उन्होंने सभी को निर्देशित करते हुए कहा कि चरवाहों और भेड़ों की निकासी के लिए दिशा निर्देशों की समय पर पालना की जाए.
साथ ही इस काम में प्रशासन एवं पुलिस की सतर्कता के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से राज्य में भेड़ों की निकासी को सफल बनाया जाए. इसके अलावा भेड़ पालकों की सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा जाए. ताकि उन्हें किसी भी तरह का कोई नुकसान ना हो.
डॉ. राठौड़ में बताया कि भेड़ निकासी के दौरान भेड़पालकों का पंजीयन कर परिचय पत्र जारी किए जाएंगे. ताकि उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हो सकें एवं किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. इस दौरान लम्पी रोग के दृष्टिगत दिशा निर्देशों की पालना भी की जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में पशुपालन विभाग के साथ जिला प्रशासन, पुलिस , स्वास्थ्य विभाग एवं वन विभाग की भी मदद ली जाएगी.
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मीटिंग में पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि कोटा, बूंदी, चित्तौडग़ढ़, करौली, भीलवाड़ा, अलवर,झालावाड़ सहित कुल सात जिले भेड़ निकासी और चरवाहों के पलायन के लिहाज से संवेदनशील हैं. इसमें सबसे अधिक संवेदनशील जिला बूंदी है.
वहीं, राज्य में कोटा, बूंदी, चित्तौडग़ढ़, करौली, भीलवाड़ा, अलवर, झालावाड़, बारां, भीलवाड़ा, दौसा, भरतपुर, उदयपुर, सीकर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़, विराट नगर जयपुर सहित कुल 19 ज़िलों में भेड़ों की निकासी के लिए चेक पोस्ट बनाए गए हैं. साथ ही हर एक ज़िले में जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जाएगी. इन सभी चेक पोस्ट पर पर्याप्त दवाइयां एवं टीके उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
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बीते कुछ दशकों में राजस्थान में चारागाह की जमीनों पर अवैध कब्जे हुए हैं. चारागाहों की संख्या भी काफी कम हुई है. इसके अलावा अनिश्चित बारिश, अकाल, सूखे के कारण भी भेड़ पालकों का पलायन काफी बढ़ा है. दूसरे राज्यों और सीमावर्ती जिलों में चारे-पानी की तलाश में भेड़ों का निकास काफी बढ़ा है. साल 2022-23 में प्रदेश से 7.54 लाख भेड़ों को राज्य से बाहर लेकर जाया गया था.
प्रदेश की 2019 की पशु गणना के आधार पर राज्य 79.03 लाख भेड़ों की संख्या के साथ देशभर में चौथा स्थान है. राज्य में कुल आठ प्रकार की भेड़ों की नस्लें पायी जाती हैं. प्रदेश में भेड़ों की स्थाई एवं अस्थाई दो प्रकार की निकासी होती है. इसमें स्थाई निकास एक जुलाई से 31 अक्टूबर एवं अस्थाई निकास एक नवंबर से 30 जून तक रहता है.
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