तीन साल के छोटे से वक्त में ही लंपी बीमारी ने पैर पसार लिए हैं. रुक-रुककर लंपी बीमारी गायों पर अटैक कर रही है. दूसरे देशों से आई इस बीमारी ने देश के कई राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया है. शरीर से कमजोर गायों से इस बीमारी को ताकत मिली है. हालांकि एक वैक्सीन से कुछ हद तक लंपी पर काबू पाया गया है. लेकिन बॉयो सिक्योरिटी से लंपी ही नहीं हर तरह की बीमारी से सभी दुधारू पशुओं को बचाया जा सकता है. हमे पशुपालन के अपने पुराने तौर-तरीकों में बदलाव लाना होगा.
क्लाइमेट चेंज को देखते हुए आज वक्त की जरूरत है कि साइंटीफिक तरीके से पशुपालन किया जाए. इसी एक मात्र तरीके के चलते ही पशुओं के साथ-साथ इंसान भी पशुओं की बीमारी से सुरक्षित रह पाएंगे. वर्ना तो हम सभी जानते हैं कि इंसानों को 70 से 75 फीसद बीमारियां पशुओं से लगती हैं, जिन्हें हम जूनोटिक कहते हैं. यह कहना है गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का.
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डॉ. इन्द्रंजीत सिंह ने किसान तक को बताया कि सड़क पर घूमने वालीं और कुछ गौशालाओं में गायों को खाने के लिए पौष्टिक चारा नहीं मिल पाता है. जिसके चलते ऐसी गायों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. यही वजह है कि लंपी बीमारी का सबसे ज्यादा अटैक इसी तरह की गायों पर देखा गया. लंपी की वजह से मौत भी ऐसी ही गायों की हुई. ऐसा नहीं है कि जहां गायों को बहुत अच्छा चारा मिल रहा है वहां गायों की मौत लंपी की वजह से नहीं हुई है, हुई है लेकिन उसकी संख्या बहुत कम है. दूसरा यह कि सड़क पर घूमने वाली गाय बहुत जल्दी उन मक्खी-मच्छर की चपेट में आ गईं जो लंपी बीमारी के कारण थे. जबकि गौशालाओं और डेयरी फार्म पर बहुत हद तक साफ-सफाई होने के चलते मच्छर-मक्खी का उतना अटैक वहां नहीं हुआ.
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डॉ. इन्द्रजीतसिंह का कहना है कि हम आज तक पशुपालन को अपने पुराने तौर-तरीके अपनाकर करते चले आ रहे हैं. जबकि क्लाइमेट चेंज के चलते अब बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. सबसे पहले तो हमे करना यह होगा कि हम गाय-भैंस पालें या भेड़-बकरी समेत कोई भी दुधारू पशु, हमे उसे साइंटीफिक तरीके से पालना होगा. इसके लिए जरूरत है कि हम अपने पशुओं के फार्म पर बॉयो सिक्योसरिटी का पालन करें और आने वाले से भी कराएं.
जैसे अपने फार्म की बाड़बंदी करें. जिससे सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर आपके फार्म में नहीं घुस सकें.अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं. दूसरा यह कि कुछ दवा फार्म पर रखें जिनका इस्ते माल हाथ साफ करने के लिए हो. ऐसा करने के बाद ही पशु को हाथ लगाएं. पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से दवाई का इस्तेेमाल कर हाथ साफ करें,
जिससे पशु की कोई बीमारी आपको न लगे. इतना ही नहीं अगर कोई व्य क्तिा बाहर से आपके फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हेंर सेनेटाइज करें. हाथ और उनके कपड़ों को भी सेनेटाइज करवा सकें तो बहुत ही अच्छां है वर्ना तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं.
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