हिमालय क्षेत्र में आए पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) का असर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में दिखने लगा है. सर्द हवाओं के कारण तापमान में आई गिरावट की वजह से मौसम विभाग (IMD) ने पश्चिमी उप्र और तराई क्षेत्र के जिलों में मंगलवार और बुधवार को पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है. इस खतरे के मद्देनजर कृषि विशेषज्ञों ने भी किसानों को पाला पड़ने से उनकी फसलें बचाने के एहतियाती उपाय सुझाए हैं. आइए जानते हैं कि यूपी के किन-किन शहरों के लिए मौसम विभाग ने एडवाइजरी जारी की है. साथ ही जानते हैा कि फसलों को पाले से बचान के लिए किसान किस तरह के उपाय अपना सकते हैं.
मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी उप्र के सहारनपुर, शामली, बिजनौर और मुजफ्फरनगर तथा तराई क्षेत्र के पीलीभीत, बरेली, मुरादाबाद और रामपुर जिलों में पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है. इसके अलावा बुंदेलखंड के बांदा, चित्रकूट, जालौन, हमीरपुर और झांसी के अलावा प्रदेश के दर्जन भर से ज्यादा जिलों में शीतलहर रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है. विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटों तक उप्र के कौशांबी, कानपुर देहात, कानपुर नगर, फतेहपुर, प्रयागराज, जौनपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, हाथरस, बागपत, मेरठ, अलीगढ़, मथुरा, आगरा , इटावा, औरैया, फिरोजाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत और बदायूं जिलों तापमान में तेजी से गिरावट आने के कारण गलन एवं ठिठुरन भरी सर्दी का प्रकोप रहेगा.
ये भी पढ़ें- अधिक ठंड से बढ़ा पाले का खतरा, किसानों के लिए IMD ने जारी की चेतावनी
बीते 14 जनवरी से उत्तर प्रदेश में लखनऊ और आसपास के इलाकों में घने कोहरे एवं ठिठुरनभरी सर्दी से निजात मिला है. पूरे दिन धूप खिलने के कारण मौसम खुशनुमा बना हुआ है. इस बीच बुंदेलखंड, पश्चिमी उप्र, और तराई के जिलों के तापमान में तेजी से गिरावट दर्ज की गई. इस वजह से मेरठ में आज सुबह का तापमान 6 डिग्री और बरेली में 5.6 डिग्री दर्ज किया गया. वहीं झांसी में पारा लुढ़ककर 6.4 डिग्री और प्रयागराज में 7 डिग्री चला गया. राजधानी लखनऊ का आज सुबह तापमान 9.2 डिग्री दर्ज किया गया.
मौसम विभाग के वैज्ञानिक डा कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिन पहले हिमालय क्षेत्र में आये पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में सर्द हवाओं का जोर बढ़ गया. इससे इन इलाकों में शीत लहर की स्थिति उत्पन्न हो गई है. डा श्रीवास्तव का कहना है कि आगामी 20 जनवरी तक हिमालय क्षेत्र में 02 और पश्चिमी विक्षोभ उत्पन्न होने का पूर्वानुमान है. इससे साफ है कि सर्दी की चपेट में आए इन इलाकों में कड़ाके की ठंड से राहत नहीं मिलेगी.
मौसम के बदले मिजाज का असर पूर्वी एवं पश्चिमी उप्र के अलावा बुंदेलखंड और तराई क्षेत्र के जिलों में है. इन इलाकों में रबी की फसल किसानों के लिए साल भर की आय का मुख्य स्रोत होती है. कड़ाके की सर्दी के कारण फसलों पर पाला पड़ने की आशंका के मद्देनजर कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को एहतियाती उपाय करने का परामर्श दिया है.
झांसी के जिला कृषि अधिकारी केके सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र खुला और पठारी होने के कारण इस क्षेत्र में फसलों पर पाले का खतरा ज्यादा होता है. उन्होंने बताया कि अधिक सर्दी के कारण पौधों की वृद्धि रुक जाती है. सिंह ने कहा कि मौसम विभाग ने इस क्षेत्र में शीतलहर की चेतावनी जारी की है. मौसम की गतिविधियों को देखते हुए इस क्षेत्र में भी पाला पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. सिंह ने कहा कि उप्र में कड़ाके की सर्दी वाले इलाकों में रबी की फसलें वृद्धि क्रम (Growing Stage) में हैं. सिर्फ गेहूं की फसल को अधिक सर्दी से कोई खतरा नहीं होता है. ऐसे में किसानों को गेहूं के अलावा अन्य दलहनी एवं तिलहनी फसलों को पाले से बचाने के एहतियाती उपाय करते हुए अभी से फसल पर स्प्रिंंकलर से छिड़काव एवं धुंआ का सहारा लेना चाहिए.
बांदा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा दिनेश शाह ने बताया कि मौसम की मार (Extreme Weather Condition) से प्रभावित उप्र के इलाकों में सरसों, अरहर और आलू की फसलें पाले के खतरे की जद में हैं. डा शाह ने कहा कि प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी जिलों में आलू एवं सरसों की फसल को एवं बुंदेलखंड में अरहर, मटर, राई और सरसों की फसल को अत्यधिक सर्दी से ज्यादा खतरा है. उन्होंने आगाह किया कि किसानों के पास फसलों को पाले से बचाने के एहतियाती उपाय करने का कम समय रहता है. ऐसे में फसलों पर 02 से 03 दिन के अंतराल में पानी की फुहार से बहुत हल्का छिड़काव करना चाहिए. छिड़काव करने का माकूल समय दोपहर बाद का होता है. जिससे शाम को तापमान गिरने से पाला पड़ने के खतरे से फसलें बच जाती हैं.
डा शाह ने बताया कि ज्यादा सर्दी में दलहनी, तिलहनी और आलू की फसल को पछेती झोंका (Late Bright) रोग का खतरा होता है. इससे बचने के लिए किसानों को मेंकोजेब (Mancozeb) दवा का छिड़काव करना चाहिए. यह दवा एक हेक्टेयर के लिए 150 से 200 लीटर पानी में 02 ग्राम प्रति लीटर की दर से मिलाकर इस्तेमाल की जा सकती है. इसके अलावा सल्फर (Sulphur) के घोल का भी छिड़काव कर सकते हैं. इसका एक हेक्टेयर में 10 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर 500 लीटर पानी के घोल का छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही किसानों को ताप संतुलन के लिए खेत की मेंड़ों पर शाम होने पर धुंआ करना लाभप्रद रहेगा.
डा शाह ने बताया कि बहुत से किसान जैविक खेती की ओर प्रेरित हुए हैं. ऐसे किसान अपनी फसलों को पाले पड़ने के खतरे से बचाने के लिए खेत की मेंड़ पर धुंआ अनिवार्य रुप से करें. हर दो तीन दिन के अंतराल पर फसल में स्प्रिंकलर से पानी का हल्का छिड़काव करें. अगर संभव हो तो बीजामृत और जीवामृत का छिड़काव भी किसान कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें;
राजस्थान में ठंड और कोहरे का घातक असर, 100 बीघे में चिया की फसल खराब