
दिल्ली-NCR और राजस्थान के कुछ हिस्सों में घने कोहरे की चादर छाई रही. राजस्थान में कड़ाके की ठंड के दौरान, फतेहपुर, सीकर में न्यूनतम तापमान 5.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. कोहरे की वजह से विजिबिलिटी भी काफी कम हो गई थी. यह कोहरा किसानों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि वे अब गेहूं की फसल बो रहे हैं, जिसके लिए रात में कम तापमान की ज़रूरत होती है. इस बीच, हाईवे और एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक धीमा हो गया, लोग हेडलाइट जलाकर गाड़ी चला रहे थे. मौसम विभाग और प्रशासन ने लोगों के लिए गाइडलाइन जारी की हैं.
उत्तर भारत, जिसमें राजस्थान भी शामिल है, में मौसम अचानक बदल गया है, और पिछले दो दिनों से राज्य में कोहरे का असर दिख रहा है. राजस्थान के सबसे ठंडे शहरों में, बीकानेर के लूणकरणसर में तापमान 6 डिग्री सेल्सियस, सीकर के फतेहपुर में 5.3 डिग्री, माउंट आबू में 7.1 डिग्री, नागौर में 5.9 डिग्री, दौसा में 6.5 डिग्री, सीकर में 7 डिग्री, अनंता में 7.8 डिग्री, अलवर में 8 डिग्री, सिरोही में 8.1 डिग्री और करौली में 7.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. न्यूनतम तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस कम रिकॉर्ड किया गया.
इस दौरान ठंडी हवाएं भी चलीं. ठंडे मौसम से सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में राजस्थान का शेखावाटी क्षेत्र, खासकर सीकर, फतेहपुर और झुंझुनू, और उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में चूरू और बीकानेर सबसे ज़्यादा प्रभावित रहे. सुबह इन सभी इलाकों में कोहरे की चादर छाई रही. मौसम विभाग ने बुजुर्गों और बच्चों को शीतलहर के दौरान ठंड से बचने और किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाने की सलाह दी है. एक्सप्रेसवे और हाईवे पर यात्रा करने वाले लोगों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.
इस सर्दी के मौसम में लोगों को कोहरे का इंतजार था. क्योंकि दिसंबर महीने की शुरुआत से ही दिन के समय तेज धूप लोगों को परेशान कर रही थी. मौसम विभाग के माने तो पश्चिमी विक्षोभ का असर रविवार को काफी हद तक कमजोर रहा. बीकानेर जोधपुर अजमेर और जयपुर संभाग के ज्यादातर इलाकों में हल्के बादल छाए रहे. बादलों के कारण दिन के तापमान में गिरावट दर्ज की गई. जबकि सुबह के समय लोग आपके पास बैठे हुए नजर आए. गर्मियों में गर्म कपड़ों की खरीदारी में भी तेजी से देखने को मिली. गर्मियों में भी खांसी जुकाम बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ती हो रही है. गर्मियों की बीमारियों का असर भी नजर आने लगा है. साथ ही बच्चों को सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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