
ग्लोबल वॉर्मिंग का असर अब दुनियाभर में नजर आने लगा है. लेकिनभारत से हजारों किलोमीटर दूर तुर्की में कुछ ऐसा हुआ है जो सबको हैरान कर रहा है. यह घटना रहस्य के अलावा थोड़ी डराने वाली भी है. कोन्या को कभी तुर्की के कृषि प्रधान क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है. अब यह जगह सूखाग्रस्त है लेकिन जो बात चौंकाने वाली है, वह यह है कि यहां यहां पर गेहूं के मैदान बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो गए हैं. सैकड़ों फीट गहरे ये गड्ढे खेतों को निगल रहे हैं और देश के सबसे महत्वपूर्ण गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में से एक को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं.
सरकार के एक नए अनुमान के अनुसार देश में अब तक 684 ऐसे गड्ढों की पहचान की गई है. ड्रोन से ली गई नई फुटेज से पता चलता है कि जमीन कितनी तेजी से धंस रही है. वैज्ञानिकों और अधिकारियों का कहना है कि सेंट्रल तुर्की की कृषि भूमि में बहुत ज्यादा सूखा पड़ने और दशकों से सिंचाई के लिए भूजल के बहुत ज्यादा प्रयोग से ऐसा हो रहा है. अधिकांश नए क्रेटर कोन्या बंद बेसिन में दिखाई दे रहे हैं, जो घुलनशील कार्बोनेट और जिप्सम चट्टानों से बना एक बड़ा समतल मैदान है.
हालांकि जहां पर गड्ढे बने हैं उस जगह की जमीन प्राकृतिक तौर पर धंसने वाली है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यहां पहले ऐसे सिंकहोल दुर्लभ थे. साल 2000 के दशक से पहले हर दशक में केवल कुछ ही ऐसे गड्ढे बनते थे. अंडरग्राउंड वॉटर रिर्सोस में जल स्तर गिरने से इन गुफाओं की छतें कमजोर हो जाती हैं और अचानक ढह सकती हैं. इससे उन खेतों में दसियों मीटर चौड़े गड्ढे खुल जाते हैं जो पहले स्थिर दिखते थे.
जलवायु परिवर्तन की वजह से काफी समय से सूखा झेलने से भूस्खलन तेजी से बढ़ रहा है. सैटेलाइट तस्वीरें और आंकड़ें बताते हैं कि तुर्की के केंद्रीय जलाशयों और जलभंडारों में भीषण सूखा पड़ा है.नासा अर्थ ऑब्जर्वेटरी के डेटा के अनुसार, इस क्षेत्र को पानी सप्लाई करने वाले मुख्य जलाशय 15 सालों में सबसे निचले स्तर पर हैं. रिमोट-सेंसिंग एनालिसिस से 1,850 और ऐसी जगहों की पहचान हुई है जहां जमीन धंसने के संकेत साफ नजर आ रहे हैं. कम बारिश होने से अंडरग्राउंड वॉटर स्टोरेज में पानी नहीं जा रहा है. इससे जलस्तर सिकुड़ रहा है और चट्टान और उसके ऊपर की तलछट में गड्ढों की संभावना बढ़ रही है.
इसके अलावा चुकंदर और मक्का जैसी ऐसे फसलें जिनमें पानी की जरूरत बहुत ज्यादा होती है. गहन सिंचाई ने भूजल दोहन को प्राकृतिक री-फिलिंग रेट से कहीं ज्यादा बढ़ा दिया. कोन्या बेसिन में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि हाल के दशकों में भूजल स्तर में कई मीटर की गिरावट आई है, और कुछ क्षेत्रों में 1970 के दशक से 60 मीटर या उससे अधिक की गिरावट देखी गई है. वहीं अधिकारियों का अनुमान है कि हजारों वैध कुएं तो हैं ही और साथ ही साथ उससे कहीं ज्यादा अवैध कुएं, लगातार पानी पंप कर रहे हैं. इससे जमीन कमजोर हो रही है और मैदान में अचानक 'कवर कोलैप्स' यानी जमीन धंसने और धीरे-धीरे 'कवर सबसिडेंस' यानी जमीन के धंसने जैसी घटनाएं हो रही हैं.
तुर्की की आपदा प्रबंधन एजेंसी AFAD के अनुसार, कोन्या बंद बेसिन में कम से कम 684 सिंकहोल (जमीन धंसने की जगहें) मौजूद हैं, जिनमें से कुछ करापनार जैसे जिलों के आसपास केंद्रित हैं और पड़ोसी करामन और अक्सराय जिलों तक फैले हुए हैं. कई गड्ढे 30 मीटर से अधिक गहरे हैं, जो खेतों, सड़कों और कभी-कभी इमारतों को भी नष्टकर रहे हैं, जिससे कुछ किसानों को अपनी खतरनाक जमीनों को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है. कोन्या टेक्निकल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स सिंकहोल के हॉटस्पॉट की मैपिंग कर रहे हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि भूजल के प्रयोग पर सख्त नियंत्रण और कम जल खपत वाली खेती की ओर बदलाव के बिना, ये स्थिति तुर्की के अन्न भंडार में तेजी से गिरावट कर सकती है.
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