वैदिक ज्ञान से रामचंद्रन करते हैं 70 फीसदी तक मौसम का सटीक पूर्वानुमान 

वैदिक ज्ञान से रामचंद्रन करते हैं 70 फीसदी तक मौसम का सटीक पूर्वानुमान 

तमिलनाडु के रहने एस रामचंद्रन एक वैदिक मौसम विज्ञानी प्रैक्टिशनर हैं. अपने वैदिक ज्ञान के आधार पर 70 फीसदी तक सटीक मौसम पूर्वानुमान लगाते हैं. रामचंद्रन के अनुसार, वैदिक मौसम विज्ञान में पाए जाने वाले सिद्धांत और तरीके अनमोल हैं और भारत सरकार द्वारा इनकी रक्षा करने की आवश्यकता है. "वैदिक मौसम एक सुपर हथियार है. 

मौसम का सटीक पूर्वानुमान, मौसम विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती, सांकेतिक तस्वीर (साभार: Freepik)मौसम का सटीक पूर्वानुमान, मौसम विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती, सांकेतिक तस्वीर (साभार: Freepik)
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Jan 19, 2023,
  • Updated Jan 19, 2023, 12:55 PM IST

क्लाइमेट चेंज की वजह से इनदिनों दुनियाभर में मौसम पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है. मौसम पैटर्न में आए बदलाव की वजह से किसान भी परेशान हैं, क्योंकि किसान खेती मौसम के आधार पर ही करते हैं. किसानों के द्वारा मौसम विभाग पर कई बार यह आरोप लगाया जाता है कि मौसम विभाग सटीक मौसम पूर्वानुमान नहीं बताता है. वहीं, मौसम विभाग का मानना है कि उसका लगभग 90 फीसद मौसम पूर्वानुमान ही सटीक होता है. ध्यान देने वाली बात यह है कि मौसम विभाग पूरे तंत्र के आधार पर 90 फीसद मौसम पूर्वानुमान लगाता है, जबकि तमिलनाडु के रहने वाले एस रामचंद्रन वैदिक ज्ञान के आधार पर 70 फीसदी तक सटीक मौसम पूर्वानुमान लगाते हैं. ऐसे में आइए उनके बारे में जानते हैं- 

दरअसल तमिलनाडु के रहने एस रामचंद्रन एक वैदिक मौसम विज्ञानी प्रैक्टिशनर हैं. जोकि खुद को अभी इस क्षेत्र में नया बताते हैं. वैदिक मौसम विज्ञानी एस रामचंद्रन के अनुसार, वैदिक मौसम विज्ञान में पाए जाने वाले सिद्धांत और तरीके अनमोल हैं और भारत सरकार द्वारा इनकी रक्षा करने की आवश्यकता है. "वैदिक मौसम एक सुपर हथियार है." 

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बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार,  रामचंद्रन ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वह न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व के लिए भी वार्षिक पूर्वानुमान लगाते हैं. रामचंद्रन ने कहा, "जो लोग वैदिक मौसम विज्ञान सीखने में रुचि रखते हैं, उन्हें बृहत् संहिता, प्रश्न मार्ग और सूर्य सिद्धांत जैसी किताबें पढ़नी चाहिए." रामचंद्रन के अनुसार ज्यादातर महत्वपूर्ण सिद्धांत एक किताब में नहीं हैं, बल्कि अलग-अलग किताबों में हैं और यह संबंधित व्यक्ति पर निर्भर करता है इन सिद्धांतों को आधुनिक खगोलीय डेटा के साथ जोड़कर कैसे पूर्वानुमान लगाए. उन्होंने कहा, मैं यहां बताना चाहता हूं कि मैं भारत सरकार के अलावा किसी भी व्यक्ति या संस्थान के साथ अपने रिसर्च को शेयर नहीं किया है.

रामचंद्रन ने बताया, "मैं 1995 से इस रिसर्च में हूं. भारतीय उपमहाद्वीप के लिए मेरे वार्षिक मौसम पूर्वानुमान की सटीकता 60-70 फीसदी होती है, वैश्विक मौसम पूर्वानुमान 75 फीसदी से अधिक है. वहीं ये भविष्यवाणियां एक साल पहले ही कर दी जाती हैं!” 

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उन्होंने बताया कि उन्होंने 2009 के दक्षिण-पश्चिम मानसून की विफलता के बारे में नवंबर-दिसंबर 2008 की शुरुआत में ही चेतावनी दी थी. इसके अलावा उन्होंने 2015 में चेन्नई में आए विनाशकारी बाढ़ के बारे में 2014 के पूर्वानुमान में बताया था. साथ ही उन्होंने नवंबर 2018 में तमिलनाडु में आए बहुत गंभीर चक्रवात गज को लेकर भी चेतावनी दी थी.

रामचंद्रन के अनुसार, उन्होंने 2021 में एक साल बाद 2022 में अमेरिका में भीषण सर्दी का सामना करने के बारे में कई भविष्यवाणियां की थीं. उन्होंने 15 से 24 दिसंबर के बीच देश में फिर से आने वाले शक्तिशाली बर्फ़ीले तूफान की चेतावनी दी थी और ठीक यही वह समय था जब तूफान इलियट उठा था. उन्होंने अपने 2021 के वार्षिक पूर्वानुमान में अक्टूबर-अंत और दिसंबर-अंत, 2022 के बीच 'दो अलग-अलग प्रकार की मौसम स्थितियों' की सटीक भविष्यवाणी की थी.  

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