इस बार मॉनसून का ब्रेक लंबा चला है. इतना लंबा कि मौसम वैज्ञानिक भी सोच में पड़ गए. अगस्त में मॉनसून ने कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. कई राज्य बारिश के पानी के लिए तरस गए. मॉनसून के ब्रेक का खतरा खरीफ फसलों पर दिखने लगा है. कई राज्यों में सूखे से फसलें चौपट हो रही हैं. कई राज्यों में बारिश की कमी से धान जैसी फसल की रोपाई नहीं हो सकी. इसमें और भी कई खरीफ फसलें हैं जो पानी की कमी से चौपट होने की कगार पर हैं. अब खतरा रबी फसलों पर भी है. अगर अभी अच्छी बारिश नहीं हुई तो आने वाले समय में रबी फसलें भी प्रभावित होंगी.
अगर बात करें राज्यों की जहां सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है तो इस लिस्ट में प्रमुख तौर पर 10 प्रदेश शामिल हैं. इन राज्यों में हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल के नाम हैं. ये वो राज्य हैं सबसे कम बारिश हुई है जिससे खरीफ फसलें प्रभावित हुई हैं. अब इन राज्यों में रबी फसलों पर भी गहरा असर देखा जा सकता है. इसमें कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां बड़े पैमाने पर खेती होती है. एक तरह से इन राज्यों की अर्थव्यवस्था खेती पर ही आधारित है.
मॉनसून की बारिश की कमी की जहां तक बात है तो हरियाणा में 58 परसेंट, पंजाब में 63 परसेंट, आंध्र प्रदेश में 47 परसेंट, ओडिशा में 34 परसेंट, मध्य प्रदेश में 34 प्रदेश, गुजरात में 89 परसेंट, महाराष्ट्र में 56 परसेंट, तेलंगाना में 62 परसेंट, कर्नाटक में 74 परसेंट और केरल में 90 परसेंट है. इस तरह केरल में बारिश की सबसे कमी है. केरल वही राज्य है जहां मॉनसून सबसे पहले दस्तक देता है, लेकिन इस बार भयंकर सूखा देखा जा रहा है. हालांकि आजकल में वहां अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है.
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'बिजनेस स्टैंडर्ड' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के बड़े कृषि प्रधान राज्य जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब और गुजरात में मॉनसून की बारिश की कमी 30 से 80 परसेंट तक है. यह आंकड़ा अगस्त का है जिस महीने में अच्छी बारिश की उम्मीद की जाती है. यह महीना खरीफ फसलों के लिए भी बेहद अहम होता है. लेकिन मॉनसून ने इस महीने में बहुत निराश किया है. यहां तक कि 1901 के बाद इस साल के अगस्त में सबसे कम बारिश हुई है.
चिंता की बात है कि अब आगे कोई बहुत बड़ा मौसम बदलाव होते नहीं दिख रहा है. बंगाल की खाड़ी में पांच-छह सितंबर से हल्का बदलाव होगा जिससे बारिश हो सकती है. अल-नीनो का इतिहास बताता है कि सितंबर महीने में 10 परसेंट तक बारिश की कमी देखी जाती रही है. इस हिसाब से 'रॉयटर्स' की एक रिपोर्ट गौरतलब है जिसमें कहा गया है कि इस साल मॉनसून आठ फीसद की कमी के साथ देश से विदा लेगा. अगर ऐसा होता है तो यह पिछले आठ साल का सबसे बुरा दौर होगा.
इस बारिश की कमी का असर न केवल खरीफ फसलों पर है बल्कि आने वाले समय में रबी फसलें भी प्रभावित होंगी. अभी की बारिश आगे के लिए खेतों में नमी का काम करती है. नदी, तालाब, पोखर भरे रहते हैं. लेकिन अभी सूखा होगा तो आगे की फसलें चौपट होंगी. इससे किसानों का सिंचाई पर खर्च बढ़ेगा. पैदावार भी अच्छी नहीं होगी जिससे महंगाई बढ़ने का खतरा बना रहेगा. रबी फसलों की बुआई कई मायनों में प्रभावित हो सकती है.
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