उत्तर प्रदेश में एक हफ्ते से चल रही लगातार बारिश का सिलसिला अब थम चुका है. ऐसे में लोगों को फिर से उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश में 27 अगस्त तक बारिश का सिलसिला चलता रहा जिससे तापमान में भी काफी गिरावट दर्ज की गई. एक सप्ताह तक हुई बारिश के चलते किसानों को काफी राहत मिली थी. उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के कई जिले सूखे की चपेट में थे. ऐसे में बारिश की वजह से किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन फिर बढ़ते तापमान और उमस भरी गर्मी से फसलों पर असर पड़ना शुरू हो गया है. मौसम विभाग की मानें तो सितंबर महीने के पहले सप्ताह में प्रदेश के किसी भी हिस्से में तेज बारिश की संभावना नहीं है. चार सितंबर तक पश्चिमी यूपी का मौसम साफ रहेगा जबकि पूर्वी यूपी में इस दौरान गरज चमक के साथ कुछ जगहों पर हल्की बारिश की संभावना भी जताई गई है.
लखनऊ के मौसम केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक अगले एक सप्ताह तक बादलों की आवाजाही लगी रहेगी. प्रदेश में शनिवार से मौसम में बदलाव होने की उम्मीद है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार को अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रहने का पूर्वानुमान है. इसके अलावा बाराबंकी, हरदोई, कानपुर, इटावा, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, वाराणसी, बलिया, बहराइच और प्रयागराज में अधिकतम तापमान 35 डिग्री से लेकर 38 डिग्री के बीच रहने का पूर्वानुमान है जबकि न्यूनतम तापमान 28 डिग्री तक रहेगा. सितंबर महीने के पहले सप्ताह में प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में मौसम शुष्क रहेगा. किसी भी जिले में तेज बारिश की कोई संभावना नहीं है. पूर्वांचल के कुछ जिलों में हल्की बारिश की संभावना जरूर है. शनिवार से मौसम में बदलाव की संभावना व्यक्त की गई है.
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मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है. वहीं बुधवार को लखीमपुर खीरी के अलावा सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थ नगर, महाराजगंज और कुशीनगर में कई जगहों पर हल्की बारिश और बौछार पड़ने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है.
उत्तर प्रदेश में बारिश के बंद होते ही फिर तापमान बढ़ने लगा है. ऐसे में धान की खेती के लिए किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं. धान की खेती के लिए अगस्त से लेकर 15 सितंबर के बीच का मौसम काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान खेतों में धान को पानी की जरूरत सबसे ज्यादा होती है, नहीं तो फसल पर बीमारियां का प्रकोप बढ़ने लगता है.
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