आखिरकार केरल में मॉनसून की बारिश शुरू हो गई है. यहां अभी तक भयंकर सूखा चल रहा था. देश में केरल ही ऐसा राज्य है जहां मॉनसून की एंट्री सबसे पहले होती है. लेकिन इस बार मॉनसून की बारिश में देरी देखी गई. लंबे वक्त के बाद यहां बारिश का दौर शुरू हुआ है. भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने बुधवार को जारी अपने पूर्वानुमान में बताया कि केरल के कई जिलों में मध्यम से लेकर हल्की बारिश होने के आसार हैं. यहां तक कि बारिश शुरू भी हो गई है.
आईएमडी ने कहा कि तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, अलप्पुझा और एर्नाकुलम जिले में बारिश होने की संभावना है. इसके साथ ही, कोट्टायम, पथनमपिट्टा, इडुक्की और त्रिशूर जिले के कुछ इलाकों में बारिश होगी. केरल में लगभग एक महीने के बाद बारिश लौटी है. केरल में इस बार सूखे की स्थिति है क्योंकि सामान्य से भी कम बारिश हुई है. केरल में जबकि मॉनसून सबसे पहले दस्तक देता है, लेकिन इस बार बारिश बहुत ही कम दर्ज की गई है.
मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल एक जून से 29 अगस्त तक मौसमी बारिश में 48 फीसदी की कमी रही है. कम बारिश ने कृषि क्षेत्र को प्रभावित किया है और इसका नतीजा ये है कि यहां बिजली उत्पादन में भी कमी आई है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कई पनबिजली बांधों को अपने डैम में पानी रोक कर रखने के लिए मजबूर होना पड़ा है. कम बारिश के कारण राज्य में कई स्थानों पर पानी की कमी हो गई और घरेलू कुएं सूख गए हैं.
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केरल के अलावा देश के बाकी दक्षिणी राज्यों की बात करें तो मॉनसूनी बारिश की कमी 62 फीसद तक पहुंच गई है जबकि पूरे देश में यह कमी 32 परसेंट है. यह आंकड़ा एक से 28 अगस्त के बीच का है. दूसरी ओर, एक बड़ी खबर ये भी है कि इस बार का अगस्त महीना 1901 के बाद सबसे अधिक सूखे वाला है. देश में इस दौरान बारिश की घोर कमी दर्ज की गई है. पिछले हफ्ते देश के कुछ इलाकों में बारिश हुई है, लेकिन यह नाकाफी है. मध्य भारत के कई राज्य जहां सोयाबीन और अन्य फसलों की खेती होती है, वहां बारिश की घोर कमी देखी गई है.
सोयाबीन और तुर की खेती के प्रमुख राज्य जैसे कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मॉनसूनी बारिश की बहुत कमी है. इन दोनों राज्यों में सोयाबीन और तुर पैदावार में गिरावट देखी जा सकती है. मध्य भारत के इन राज्यों में एक अगस्त से 21 अगस्त के बीच 36 परसेंट बारिश की कमी थी जबकि एक से 28 अगस्त के बीच यह बढ़कर 42 परसेंट हो गई है. पूरे देश की बात करें तो मॉनसून की कमी का सबसे खराब असर दक्षिण के राज्यों में देखा जा रहा है जिसमें कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के नाम हैं.
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