
दिल्ली अभी भीषण शीतलहर और ठंडे दिन की चपेट में है. इस दौरान देखा जाता है कि लगभग 6 महीने के लंबे समय तक शुष्क मौसम का सामना करना पड़ता है. एक तो बारिश कम और दूसरा ठंड का सीजन शुष्क मौसम को बढ़ा देता है. दिल्ली में लगभग 60 दिनों तक बारिश नहीं हुई है. यह सूखा अगस्त 2023 से शुरू होकर अभी तक चला है. ऐसे में देखें तो पिछले छह महीनों में बारिश की भारी कमी हुई है. बारिश की यह कमी आने वाले महीनों में उत्तरी क्षेत्र में खेती और पेयजल के स्रोतों को प्रभावित कर सकती है.
वर्षा गतिविधियों में भारी गिरावट ने दिल्ली क्षेत्र को उसके सामान्य मॉनसून पैटर्न से दूर कर दिया है. यह 2023 के अगस्त में शुरू हुआ, जबकि यह महीना मॉनसून का सबसे अच्छा महीना माना जाता है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का अनुमान है कि कम से कम 30 जनवरी तक दिल्ली और आसपास के इलाकों में बारिश की कमी से राहत नहीं मिलेगी. इससे भी बुरी बात यह है कि किसी भी शक्तिशाली पश्चिमी विक्षोभ की संभावना नहीं है. ऐसे में फरवरी तक कड़ाके की ठंड जारी रहने की उम्मीद है.
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हाल के महीनों में वर्षा के रुझान की समीक्षा एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है. अगस्त 2023 में, दिल्ली में सामान्य वर्षा में 61% की भारी कमी देखी गई. सितंबर में वर्षा की मात्रा सामान्य स्तर से दो-तिहाई तक कम हो गई, जिसका अर्थ है 33 परसेंट की कमी. अक्टूबर में औसत वर्षा की एक तिहाई से भी कम, चिंताजनक रूप से कम दर्ज की गई, जो सामान्य सीमा से 64 परसेंट से कम है. दिल्ली में इस सर्दी के मौसम की एकमात्र दर्ज की गई बारिश की घटना 28 नवंबर को हुई. नतीजतन, दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 पूरी तरह से वर्षा से परे रहे हैं. कुल मिलाकर 60 दिनों में बिल्कुल सूखा रहा है जो आईएमडी के मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए जल्द ही समाप्त होने की संभावना नहीं है.
इसी तरह के सूखे दौर का दौर पूर्व में भी रहा है. 2022-2023 की सर्दी इसी तरह लगभग तीन महीनों तक बिना बारिश तक थी, नवंबर और दिसंबर में 100 परसेंट की कमी दर्ज की गई थी. 2022 के दौरान अक्टूबर में भरपूर बारिश के बावजूद, सामान्य से 752 परसेंट अधिक बारिश के साथ, जनवरी 2023 शुष्क रहा, जो 29 जनवरी को कम वर्षा के साथ समाप्त हुआ.
इस वर्ष का शुष्क मौसम बेहद कम वर्षा के साथ लगातार दूसरी बार चिंता पैदा करता है. मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की कमी काफी हद तक स्थिति को स्पष्ट करती है. इन विक्षोभों की अनुपस्थिति और उनके परिणामस्वरूप हवा के बदलाव से सर्द कोहरा बना रहता है. इस शुष्क दौर को अल नीनो वर्ष के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो मौसम की अनिश्चितताओं को बढ़ाता है. शीतकालीन वर्षा की कमी से पीने के पानी की कमी हो सकती है. यह बागवानी और कृषि उत्पादकता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, जो आने वाले कठिन समय का संकेत है.
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