आज हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों से भी मॉनसून ने अलविदा कह दिया है. देश से मॉनसून की विदाई का आज दूसरा दिन है. सोमवार को राजस्थान और गुजरात के कई हिस्सों से मॉनसून की विदाई हुई थी. हालांकि, अभी मानसून के 'बाय-बाय' कहने की रफ्तार धीमी हो जाएगी. बंगाल की खाड़ी से पश्चिम की ओर बढ़ते लो प्रेशर सिस्टम का मानसून की विदाई पर असर पड़ सकता है.
इस सिस्टम के चलते तटीय कर्नाटक, कोंकण और गोवा में अगले तीन दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी गई है. इसी प्रकार, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात के कई हिस्सों में कल से दो दिनों तक भारी बारिश की संभावना है. दिल्ली और उत्तर पश्चिम भारत के आसपास के इलाकों में भी कल से मानसून के मौसम की आखिरी बारिश शुरू हो सकती है. 29 सितंबर तक कम दबाव वाले सिस्टम के सक्रिय रहने की संभावना है. उसके बाद मानसून के वापस जाने में तेजी आ सकती है.
आईएमडी के अनुसार 24 सितबर से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की विदाई शुरू हो जाएगी. आईएमडी की तरफ से पहले अनुमान लगाया गया था कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 से 25 सितंबर के बीच देश से विदाई शुरू कर सकता है. आमतौर पर, दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून तक केरल में दस्तक देता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है, लेकिन इस साल मानसून 30 मई को समय से पहले ही केरल पहुंच गया था. आम तौर पर, यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापस लौटना शुरू कर देता है.
लो प्रेशर सिस्टम के सक्रिय होने के साथ ही दिल्ली को उमस वाली गर्मी से राहत मिलने का अनुमान है क्योंकि पुरवइया हवाएं अपने साथ ठंडक लाएंगी. इस तरह से मानसून की वापसी की प्रक्रिया हरियाणा, पंजाब और अन्य भागों में शुरू हो गई है, लेकिन अगले कुछ दिनों में लो प्रेशर सिस्टम के प्रभाव से कुछ हिस्सों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है. मानसून की इस विदाई के साथ ही अब ठंड के मौसम का इंतजार है.
विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून की देर से वापसी के दौरान तेज बारिश के दौर के साथ, अक्टूबर में कटाई के लिए तैयार होने वाली फसलों को खतरा हो सकता है. साथ ही रबी फसलों की बुवाई में देरी हो सकती है. सामान्य से कम मानसून के बाद इस साल भारत में भरपूर बारिश हुई है. इससे अगस्त में खरीफ फसलों की बुवाई में मदद मिली, जो पिछले साल कम उत्पादन के बाद बहुत जरूरी राहत लेकर आई. लेकिन सितंबर में अधिक बारिश कटाई के मौसम से पहले फसलों के लिए खतरा है.
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