Monsoon Rain: कहीं आफत-कहीं राहत, भारी बारिश से चेहरे खिलने और मायूस होने का ये गणित कर देगा हैरान

Monsoon Rain: कहीं आफत-कहीं राहत, भारी बारिश से चेहरे खिलने और मायूस होने का ये गणित कर देगा हैरान

Monsoon 2023: भारी बारिश ने देश के कई हिस्सों में तबाही मचा दी है. एक तरफ जहां लोग बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे तो अब बारिश होने के बाद बर्बादी के मंजर नजर आ रहे हैं. इस बारिश ने जहां कुछ किसानों को खुश किया है, वहीं कुछ किसानों को मायूस कर दिया है. कुछ अब इस चिंता में हैं कि कहीं भारी बारिश का ये सिलसिला लंबा ना चले. मॉनसून की इस बारिश से किस को राहत, किस को आफत, ये पूरा गणित यहां समझिए

बारिश से पूरे उत्तर भारत में मुश्किल हालातबारिश से पूरे उत्तर भारत में मुश्किल हालात
जेपी स‍िंह
  • NEW DELHI,
  • Jul 10, 2023,
  • Updated Jul 10, 2023, 4:10 PM IST

फिल्मी गीतों और गांवों में सावन की बारिश की प्रशंसा में गीत गाए जाते है. रिमझिम बारिश किसानों से लेकर आमजन तक सभी के लिए खुशी का मौका होती है. लेकिन हाल ही में जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले कुछ सालों से अचानक मूसलाधार बारिश होती है और फिर कई दिनों तक सूखे जैसी स्थिति बन जाती है. ऐसे में एक परेशानी भरी स्थिति खड़ी हो जाती है. इस बार की स्थिति भी कुछ ऐसी है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पंजाब समेत देश के उत्तरी राज्यों में भारी बारिश हो रही है.राजधानी दिल्ली में भारी बारिश ने 41 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, 1982 के बाद से जुलाई में एक दिन में सबसे ज्यादा 153 मिमी बारिश हुई है. इससे पहले 25 जुलाई 1982 को 169.9 मिमी बारिश दर्ज की गई थी. इससे कुछ एरिया के किसान खुश हैं,  कुछ एरिया के किसान काफी दुखी हैं ,वहीं महंगी होती सब्जियों ने आम आदमी की मॉनसून से जुड़ी खुशी पर भी पानी फेर दिया है. 

फिलहाल धान लगाकर खुश दिल्ली वाले किसान  

दिल्ली के गांव हिरनकी के किसान उमेश सिंह ने किसान तक को बताया कि हम किसान बारिश का इंतजार कर रहे थे, लेकिन वे सावन की रिमझिम बारिश का इंतजार कर रहे थे, इस तरह  की झमाझम बारिश से हमारी खरीफ की फसलें बर्बाद हो गई हैं. वहीं उन खेतों में पांच फीट पानी भर जाने के कारण हम लोगों ने धान की फसल लगायी है, अगर पानी जल्द निकल जायेगा तो धान की फसल भी गल जायेगी. उन्होंने कहा कि सावन में हुई रिमझिम बारिश फसलों के लिए बेहतर है.

 

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हिमाचल में सीढ़ीनुमा खेत भी हुए खराब, दुखी किसान

समरो गांव जिला सोलन हिमाचल प्रदेश के किसान भीम सिंह जो टमाटर की खेती करते हैं इस समय उनके खेतों में टमाटर की फसल लगी हुई है. उन्होंने किसान तक को बताया कि हिमाचल में टमाटर की खेती ऊंचे पहाड़ों पर सीढ़ीनुमा खेतों होती है. इससे खेत में पानी भरने की समस्या नहीं होती है. लेकिन मूसलाधार बारिश के कारण टमाटर की स्टेकिंग की लकड़िया  टूट गईं, जिससे टमाटर की फसल खेत में बिखर गयी है. इससे टमाटर की फसल को नुकसान हुआ है. दूसरी ओर, बारिश के कारण सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, इससे हम पके टमाटर की उपज नहीं भेज पा रहे हैं, इससे हमारी टमाटर की उपज भी खराब हो रही है.

 

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धान और गन्ने वाले किसान खुश  

ग्राम छिदवारा, जिला बुलंद, उत्तर प्रदेश के किसान नेत्रपाल सिंह ने किसान तक  से बताया कि इस समय हमारे खेतों में धान और गन्ने की फसल के लिए यह बारिश बहुत फायदेमंद है। लेकिन जिन किसानों ने हाल ही में खरीफ सीजन की दलहन अरहर की बुआई की थी. उनकी फसल बर्बाद हो गयी है.उन्होंने कहा कि यह बारिश किसानों के लिए अच्छी है.

सावन में महंगी सब्जी से आम आदमी दुखी

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रनियाला दयालपुर गांव के प्रगतिशील किसान सतपाल सैनी बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती करते हैं किसान तक से बातचीत में बताया कि  उन्होंने जो लौकी, नेनुआ ,बैगन करैला इत्यादि सब्जियों की फसल लगाई है, लेकिन बरसात सीजन में बारिश के कारण  पैदावार कम  हो जाती है, सतपाल सैनी ने कहा कि यही कारण है कि सब्जियां महंगी हो गई हैं. उन्होंने कहा कि इस सावन माह में कई लोग नानबेज नहीं खाते हैं.जिसके कारण हरी सब्जियों की मांग भी बढ़ जाती है, बारिश के दौरान यातायात प्रभावित होने के कारण सब्जियां एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से नहीं पहुंच पाती हैं और नमी अधिक होने के कारण सब्जियां बहुत जल्दी खराब हो जाती हैं.इससे कारण सब्जियां शहरो में महंगी हो जाती है.उन्होंने कहा कि यह बारिश धान और गन्ने के लिए काफी फायदेमंद है.उन्होंने बताया कि उनके गांव में एक नाला है जो कभी नहीं भरता और इस बारिश में पूरी तरह पानी से भर गया है इससे गांव का किसान बहुत खुश है.

 

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रिमझिम बारिश चाहिए झमाझम नहीं

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के कृषि विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. रोहताश सिंह ने किसान तक से कहा कि रिमझिम बारिश हमेशा मूसलाधार बारिश से ज्यादा फायदेमंद होती है. उन्होंने कहा कि भारी बारिश के कारण मिट्टी का कटाव अधिक होता है.अगर खेत में कोई फसल बोई गई है तो खेत में पानी भर जाने के कारण पौधों की पत्तियाँ जल्दी मरने लगती हैं, क्योंकि जलमग्न पत्तियाँ वायुमंडलीय गैसों, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का आदान-प्रदान करने और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सक्षम नहीं होती हैं.रोहताश सिंह ने कहा कि धान और गन्ना सहित कुछ फसलों को छोड़कर यदि मिट्टी लंबे समय तक पूरी तरह से पानी से भरी रहती है .जड़ों की कार्य क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. , परिणामस्वरूप पौधों का प्रदर्शन कम होगा और फसल की पैदावार कम होगी.

डॉ रोहताश सिंह ने किसान तक से कहा कि असामान्य रूप से अधिक वर्षा के कारण पोषक तत्व, विशेषकर नाइट्रोजन, पौधों की जड़ों से दूर चले जाते हैं.जिसके कारण खाद का दोबारा उपयोग करना पड़ता है, जिससे किसानों को दोबारा लागत वहन करनी पड़ती है.ऐसे में रिमझिम बारिश होने से फसलों को नुकसान नहीं होगा, फसलें अच्छी होंगी. जबकि एक साथ आया भारी बारिश का पानी खेतों को नदी नालों में बहा चला जाता है  जिससे बाढ़ आ गई. इस प्रकार, आर्थिक दृष्टिकोण से, एक साथभारी बारिश हमेशा नुकसान पहुंचाती है.

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