इस बार फरवरी की गर्मी ने बड़ा रिकॉर्ड तोड़ा है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी का महीना 1877 के बाद सबसे गर्म रहा. फरवरी का औसत अधिकतम तापमान 29.54 डिग्री दर्ज किया गया. यही वजह है कि आम लोगों से लेकर मौसम विज्ञानी तक मौसम के इस खतरनाक बदलाव पर चिंता जाहिर कर रहे हैं. फरवरी का महीना गुलाबी ठंड और वसंत की हवाओं के लिए जाना जाता है. लेकिन फरवरी में लोगों को गर्मी से जूझते देखा गया. इससे गेहूं की फसल पर भी बुरा असर पड़ा है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किए जाने का अनुमान है. हालांकि देश के दक्षिणी क्षेत्र और महाराष्ट्र में कुछ राहत देखी जाएगी. इन दोनों स्थानों पर गर्मी की अधिक मार पड़ती नहीं दिख रही है. IMD का यह मौसम पूर्वानुमान मार्च से मई महीने के लिए है.
आईएमडी के हाइड्रोमेट और एग्रोमेट एडवाइजरी सर्विसेज के प्रमुख एससी भान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, मार्च महीने में लू चलने की संभावना बहुत कम है. लेकिन देश के अधिकांश हिस्सों में अप्रैल और मई में मौसम का प्रतिकूल असर देखा जा सकता है. इन दोनों महीनों में तापमान में खासी बढ़ोतरी हो सकती है.
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आईएमडी के मुताबिक, बीते फरवरी महीने में सामान्य अधिकतम तापमान 1877 के बाद सबसे अधिक दर्ज किया गया है. ग्लोबल वॉर्मिंग के बीच आईएमडी की रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि पहले की तुलना में गर्मी में लगातार वृद्धि है. पिछले दो-तीन साल से लोग भी इस बात को महसूस कर रहे हैं कि जनवरी बीतते ही फरवरी में गर्मी का पारा चढ़ जाता है और पंखे-एसी चलने लगते हैं. पहले ऐसा ट्रेंड देखने में नहीं आता था.
आईएमडी के एससी भान ने कहा, पूरी दुनिया अभी ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव में चल रही है. यह क्लाइमेट चेंज का सबसे बड़ा संकेत है. रिपोर्ट में कहा गया है, 1901 के बाद से इस फरवरी के दौरान भारतीय क्षेत्रों में फरवरी का मासिक औसत न्यूनतम तापमान पांचवीं बार सबसे अधिक दर्ज किया गया. भान ने कहा कि देश भर में मार्च में बारिश का औसत सामान्य रहने की संभावना है. 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर मार्च के दौरान पूरे देश में वर्षा का एलपीए लगभग 29.9 मिमी है.
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एससी भान ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश क्षेत्रों, पश्चिम-मध्य भारत और पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की उम्मीद है. प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश हिस्सों, पूर्व-मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत के कुछ अलग-थलग इलाकों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है.
भान ने कहा कि वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में ला नीना की स्थिति बनी हुई है. उन्होंने कहा कि मॉनसून के मौसम पर अल नीनो की स्थिति के प्रभाव का पूर्वानुमान लगाना जल्दबाजी होगी. भान ने कहा, "मॉनसून पर अल नीनो के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए अप्रैल बेहतर समय होगा. हम अप्रैल के मध्य में पूर्वानुमान जारी करेंगे."