गुजरात के लिए शुक्रवार का दिन अहम है. यहां एक चक्रवाती तूफान बनने की आशंका जताई जा रही है. गुजरात में जिस तरीके से भीषण बारिश हो रही है, उस बीच में चक्रवात का आना चिंता का कारण बन सकता है. मौसम विभाग के मुताबिक गुजरात के ऊपर बना डीप डिप्रेशन शुक्रवार को अरब सागर में चक्रवात का रूप ले सकता है. अगर ऐसा होता है तो पिछले 80 साल में अरब सागर में बनने वाला खास तरह का चौथा तूफान होगा.
अभी गुजरात के ऊपर बना गहरा दबाव अरब सागर में पश्चिम की ओर बढ़ने की तैयारी कर रहा है, जहां इसके चक्रवात में तब्दील होने की आशंका है. यह घटना इसलिए बड़ी है क्योंकि पिछले 80 वर्षों में यह केवल चौथी घटना है, जब मैदानी इलाकों में सक्रिय मौसम प्रणाली समुद्र में पहुंचने पर चक्रवात में तब्दील हो जाती है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की वैज्ञानिक सोमा सेन रॉय के अनुसार, "पूर्व में, भूमि पर सक्रिय इस तरह का गहरा दबाव साल 1944, 1964 और 1976 में अरब सागर में देखने को मिल चुका है. पिछले 48 वर्षों में यह पहली बार है जब हम इस तरह की घटना देख रहे हैं." यह बड़े मौसम परिवर्तन और उसके महत्व को बताता है.
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आईएमडी ने गहरे दबाव की इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए एक बुलेटिन जारी किया. बुलेटिन के अनुसार, सौराष्ट्र और कच्छ के ऊपर बना गहरा दबाव धीरे-धीरे पश्चिम की ओर बढ़ रहा है और पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर इसके जारी रखने की संभावना है. इसके कच्छ और उससे सटे सौराष्ट्र और पाकिस्तान के तटों से उत्तर-पूर्व अरब सागर में उभरने की उम्मीद है, जहां यह 30 अगस्त को एक चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा.
इसके बाद, यह सिस्टम अगले दो दिनों में भारतीय तट से दूर होते हुए उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ेगा. इससे मौसम में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं.
इस साल के मॉनसून सीजन में पूरे भारत में बारिश का बदला पैटर्न दिख रहा है, जिसका असर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी मैदानी इलाकों से ज़्यादा मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात पर पड़ा है. इस घटना के पीछे मुख्य कारण बंगाल की खाड़ी में कई कम दबाव वाले क्षेत्रों का बनना और उनका पश्चिम की ओर बढ़ना है.
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ऐसा देखा जाता है कि बंगाल की खाड़ी में बनने वाले कम दबाव वाले सिस्टम उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हैं, जिससे बिहार, यूपी, हरियाणा और पंजाब जैसे इलाकों में भारी बारिश होती है. हालांकि, इस साल इसमें बड़ा बदलाव हुआ. ये सिस्टम पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़े, जिससे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और ख़ास तौर पर गुजरात जैसे राज्यों पर काफ़ी असर पड़ा.