Dragon Fruit Farming Story: यूपी के बस्ती जिले (Basti News) के विकासखंड गौर स्थित कोठवा गांव के युवा किसान देवांश पांडेय ने पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती की और उसे मुनाफे का सौदा साबित करके दिखाया है. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में देवांश पांडेय ने बताया कि डेढ़ साल पहले ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की थी. उन्होंने कहा कि एक साल पहले मेरे पिता जी की अचानक मौत हो गई थी. पिता की मौत के बाद छोटे भाइयों को पढ़ाने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई. ऐसे में हमने ड्रैगन फ्रूट्स की खेती करने का फैसला लिया. क्योंकि कॉमर्स की पढ़ाई करने के बाद मेरा मन हमेशा बिजनेस करने का लगता था. ऐसे में हमने खेती-बाड़ी में किस्मत आजमाने का फैसला लिया. क्योंकि पिता जी ने ड्रैगन फ्रूट का बिजनेस शुरू किया था. लेकिन उनकी मौत के बाद अब मैं उनके सपने को पूरा कर रहा हूं.
प्रगतिशील युवा किसान देवांश ने बताया कि बीकॉम और एमकॉम क्रमश: अमेठी- लखनऊ से और बीएड की पढ़ाई बस्ती से की है. 1.25 एकड़ यानी (4.50 बीघा) में हमने ड्रैगन फ्रूट को लगाया है. कुल 610 पीर्लेस पर 2440 पौधों की रोपाई हुई थी. वहीं पहली फ्रूटिंग जून माह में आई थी. उन्होंने बताया कि पहली बार में 220 पीस ड्रैगन फ्रूट का प्रोडक्शन हुआ था. वहीं 5-6 दिनों में 1500 फल तैयार हो जाएंगे. देवांश बताते हैं कि पहली फ्रूटिंग आने में डेढ़ साल का समय लगता है. 220 पीस ड्रैगन फ्रूट को रिटेल में 300 प्रति किलो के रेट से बिक्री हुई है.
वहीं, इसका थोक भाव 80 रुपये प्रति पीस है. अभी बस्ती के लोकल मंडी के फल व्यापारी खरीद रहे है. जब हमारा प्रोडक्शन बढ़ेगा तब हम ऑनलाइन भी बिक्री करेंगे.
आमदनी के सवाल पर किसान देवांश ने बताया कि पहली फ्रूटिंग में 6-7 हजार रुपये की कमाई हुई है. जबकि 1500 फल 6 सितंबर तक तैयार हो जाएंगे. अगर हम 80 रुपये प्रति पीस के रेट से बेचेंगे तो 84 हजार रुपये की इनकम और हो जाएगी.
बस्ती जिले के कोठवा गांव के युवा किसान देवांश पांडेय ने बताया कि दिसंबर तक हर महीने फ्रूटिंग आती रहेगी. जैसे-जैसे फल आता रहेगा हम इसको बेचते रहेंगे. कुल मिलाकर 5-6 लाख रुपये की आय हो जाएगी. उन्होंने बताया कि बस्ती जिले के आसपास कोई भी ड्रैगन फ्रूट्स का सप्लायर नहीं है. इसलिए यह एक मुनाफे का सौदा साबित होगा. देवांश ने बताया कि 90 प्रतिशत केमिकल रहित ऑर्गेनिक खेती उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि वह प्राकृतिक खादों का प्रयोग करते हैं. जैसे मुर्गी का खाद, नीम की खली, गोमूत्र, गोबर की खाद, कंपोस्ट आदि. वहीं कीटनाशक के छिड़काव के लिए नीम के तेल का इस्तेमाल कर रहे है.
उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में लागत पहली बार लगती है जो खेत की बैरीकेटिंग, पौधे को सहारा देने के लिए ढांचे को बनाने में लगती है. एक बार पौधा लग जाने के बाद फिर लागत जीरो हो जाती है. साल में जुलाई से लेकर 4 माह में चार बार फसल देता है. शुरुआत में ही लागत लगती है, उसके बाद किसी भी प्रकार की लागत नहीं लगती है. केवल उत्पादन लेना होता है.
देवांश ने बताया कि वे अपने खेत पर सिंचाई करने के लिए स्प्रिंकलर, रेन गन और ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करने जा रहे हैं. क्योंकि ड्रिप इरिगेशन से पानी की ज्यादा बचत होती है. इसकी वजह से केवल पेड़ को जरूरत जितना ही पानी संचित होता है. इससे नमी बनी रहती है.
युवा किसान देवांश पांडेय बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती फरवरी से अक्टूबर महीने में बेस्ट होती है. इसके लिए 25 से 30 डिग्री का तापमान अनुकूल माना जाता है.