आप जब भी किसान शब्द सुनते हैं या किसान का चित्र देखते हैं तो हमारे जेहन में एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर आती है जिसके कांधे में हल होता है, तन के कपड़े फटे होते हैं और चेहरे में उदासी नजर आती है. ये बात भी सच है कि देश के बहुत से किसान आज भी अपनी आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं. लेकिन ऐसे भी कई किसान हैं जो खेती-बाड़ी की चुनौतियों से लड़कर आए और खेती के क्षेत्र में ऐसे प्रयोग किए जो किसानों के लिए उदाहरण बन गए. आज की कहानी उज्जैन जिले के किसान की है जो खेती से सालाना 50 लाख रुपये की कमाई करते हैं.
हम बात कर रहे हैं उज्जैन जिले के पोस्ट पिपलिया हामा तहसील घटिया के किसान अश्विनी सिंह चौहान की. अश्विनी ने किसानतक से खास बातचीत करते हुए बताया कि उनके घर में पुश्तैनी खेती होती आ रही है इसलिए बचपन से ही वे खेती से जुड़े रहे. उन्होंने बताया कि कॉलेज के बाद से खेती को ही मुख्य व्यवसाय के तौर पर चुना लिया और उसी में पूरी तरह से उतर गए. आज वे सालाना 50 लाख रुपये का रेवेन्यू जनरेट करते हैं. आइए उनके सफर के बारे में जान लेते हैं.
अश्विनी बताते हैं कि उनके घर में पारंपरिक तरीके से खेती होती थी जिससे परिवार अधिक कमाई नहीं कर पाता था. साल 2009 में वे आधुनिक खेती से जुड़ने लगे. इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से नई नई तकनीकों के बारे में सीखा. इसके अलावा वे दूर-दूर तक सफल किसानों से मिलने जाते थे और खेती की आधुनिक तरीकों के बारे में सीखते थे. वे फार्म और फार्म मशीनरी में अपग्रेडेशन कर रहे हैं. उनकी मुख्य फसलें गेहूं, सोया, अरहर, आलू, चना और मक्का हैं. इसके अलाना वे आधुनिक तरीके से लहसुन और प्याज, नींबू और केले की खेती करते हैं.
अश्विनी बताते हैं कि उन्होंने गेहूं की 6 अलग-अलग किस्में के परीक्षण उगाए. गेहूं की ये किस्में उच्च तापमान सहने और कई रोगों से बचाव की क्षमता रखती हैं. इस खास प्रयोग के बाद अश्विनी किसानों के लिए मंडी रेट में बीज उपलब्ध कराते हैं जिससे किसान अन्य किस्मों के मुकाबले इन खास किस्मों की बुवाई कर अधिक पैदावार और कमाई कर सकते हैं.
अश्विनी सिंह चौहान खेती के क्षेत्र में लगातार आधुनिक प्रयोग करते रहते हैं जिसके कारण उन्हें ढेर सारे पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इसके अलावा वे किसानों को आधुनिक खेती की ट्रेनिंग भी देते हैं. उनका पूरा जोर सिंचाई के आधुनिक तरीके जैसे ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा देने का रहता है. किसानतक से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि वे करीब 18 हेक्टेयर भूमि पर खेती करते हैं. गेहूं, दलहनी फसलें और बागवानी फसलों की खेती से 45-50 लाख रुपये की सालाना कमाई करते हैं. इसमें खाद-बीज, सिंचाई, लेबर और अन्य खर्च पर सालाना 20 लाख रुपये का खर्च आता है. इस खर्च को काटने के बाद वे 25 लाख रुपये तक सालाना बचत करते हैं.