प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की बुवाई लगभग 121 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है. बुवाई के बाद अब फसल को रोगों से बचाने की चुनौती है. सोयाबीन में कीटों का अटैक बहुत होता है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सोयाबीन की फसल में अगर कीटों का मैनेजमेंट नहीं किया जाता है तो 30 से 40 प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है. कृषि वैज्ञानिक रूप सिंह, अरविंद नागर, राकेश कुमार बैरवा, इरफान खान और सरिता ने लिखा है कि सोयाबीन फसल में रासायनिक कीटनाशकों के अवांछित उपयोग से कीटों में रसायनों से प्रतिरोधक क्षमता निरंतर बढ़ रही है. बहरहाल, आईए जानते हैं कि इस फसल में पांच कौन-कौन से खतरनाक कीटों का अटैक होता है.
यह सोयाबीन का प्रमुख हानिकारक कीट है. वयस्क कीट पर छोटे-छोटे काले धब्बे होते हैं. इसकी छोटी इल्लियां मटमैले रंग की होती हैं, जो बाद में लाल भूरे रंग की हो जाती हैं. इनके शरीर में बड़े-बड़े बाल उभर आते हैं. ये इल्लियां समूह में पत्तियों को खाकर, जालीनुमा बना देती हैं. इससे पौधे की पत्तियां सफेद दिखाई देती हैं. यह एक बहुभक्षी कीट है जो सवा सौ से अधिक पौधों की प्रजातियों को नुकसान पहुंचाता है, जिनमें सोयाबीन अहम है. यह पत्तियों को खाकर पौधों को खोखला कर देती है. ज्यादा असर हो तो केवल पौधों के तने ही बचते हैं.
यह सभी सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में पाया जाने वाला हानिकारक कीट है. वयस्क मक्खी साधारण मक्खी जैसी परंतु आकार में थोड़ी बड़ी दिखाई देती है. यह मक्खी पत्तियों के दलपत्रों के अंदर अंडे देती है. इनसे छोटी इल्लियां निकलती हैं, जो पत्तियों की शिराओं के माध्यम से तने में पहुंचकर टेड़ी-मेढ़ी सुरंग बनाकर पौधे खाती हैं.
यह सोयाबीन की पत्तियां खाने वाला प्रमुख कीट है. प्रारंभिक अवस्था में इल्लियां पत्तियों में छेद बनाकर उन्हें जालीनुमा बना देती हैं. अधिक प्रकोप हो जाने पर ये कीट कलियों, फूल, फलियों आदि को प्रभावित करती हैं. इससे अफलन की समस्या उत्पन्न हो जाती है. कम वर्षा, अधिक तापमान एवं अधिक आर्द्रता इस कीट के प्रकोप के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं.
यह सोयाबीन का प्रमुख हानिकारक तनाछेदक कीट है. वयस्क कीट नारंगी रंग का होता है, जिसके पंखों का निचला हिस्सा काला होता है. वयस्क मादा पौधे के तना शाखा या पर्णवृंत पर दो चक्र बनाती है एवं उसके बीच में हल्के पीले रंग के अंडे देती है. इससे पौधे की ऊपरी भाग की पत्तियां सूखने लगती हैं. ये इस कीट की पहचान के प्रमुख लक्षण हैं. ये आमतौर पर फसल 25 दिनों की होने की अवस्था के बाद दिखाई देते हैं. कुछ दिनों बाद अंडे से इल्लियां निकलकर तने को अंदर से खाकर खोखला कर देती हैं. इससे पौधा सूखने लगता है और उत्पादन में नुकसान होता है.
यह रस चूसने वाला हानिकारक कीट है. इस मक्खी के शिशु पत्तियों की निचली सतह पर चिपके रहते हैं और पत्तियों का रस चूसते हैं. इससे पत्तियां पीली पड़कर सिकुड़ जाती हैं. ये कीट एक विशेष चिपचिपा पदार्थ छोड़ती हैं जिससे पत्तियों में फफूंद विकसित हो जाती है. यह कीट पीला मोजैक विषाणु के वाहक का कार्य करता है.
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