रबी सीजन में गेहूं के साथ सूर्यमुखी और मसूर की खेती से पाएं बेहतर मुनाफा: कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

रबी सीजन में गेहूं के साथ सूर्यमुखी और मसूर की खेती से पाएं बेहतर मुनाफा: कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्यमुखी की खेती इस मौसम में एक अच्छा विकल्प है. उन्नत किस्मों में सूर्या, सी.ओ–1, पैराडेविक, और संकर किस्मों में बीएसएच-1, केबीएसएच-1, एमएसएफएच-1 आदि प्रमुख हैं.

सूरजमुखी की खेतीसूरजमुखी की खेती
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Oct 21, 2025,
  • Updated Oct 21, 2025, 5:45 PM IST

रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है. इसके साथ ही अगात धान की फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है. वहीं, पछेती धान की फसल में बाल आने शुरू हो चुके हैं. इन तमाम खेती में हो रहे बदलाव के बीच किसान रबी सीजन में लगने वाली फसलों की खेती में भी जुट गए हैं. एक ओर जहां किसान गेहूं की बुवाई में लगे हुए हैं, वहीं कृषि वैज्ञानिक गेहूं के अलावा सूर्यमुखी, मसूर की फसल लगाने की सलाह दे रहे हैं.  कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि किसान गेहूं के अलावा इन फसलों की खेती करके भी एक अच्छी कमाई कर सकते हैं, इसलिए किसान सूर्यमुखी से लेकर मसूर की खेती भी करें.

सूर्यमुखी की खेती के लिए इन बीजों का चयन

कृषि से जुड़ी जानकारी के अनुसार, अगर किसानों को अच्छी उपज लेनी है, तो उन्हें फसल की खेती करने के दौरान बीजों का चयन करना बेहद जरूरी होता है क्योंकि बाजार में कई तरह की कंपनियों के बीज उपलब्ध हैं. वहीं, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सूर्यमुखी की खेती के लिए निम्न बीजों के चयन के बारे में अनुशंसा करते हुए बताया गया है कि किसान भाई सूर्यमुखी के बीजों के तौर पर उन्नत संकुल के लिए सूर्या, सी.ओ–1, पैराडेविक, संकर प्रभेद के लिए बी.एस.एच–1, केबीएसएच–1, केबीएसएच–44, एम.एस.एफ.एच–1, एम.एस.एफ.एच–1 सहित अन्य किस्मों का चयन कर सकते हैं.

सूर्यमुखी की खेती से पहले खेत की तैयारी

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्यमुखी की बुवाई के समय खेत की जुताई के दौरान 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 से 90 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करना चाहिए. इसके साथ ही, संकर किस्म के बीज का उपयोग 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, वहीं संकुल किस्म के लिए 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग करना चाहिए. इसके साथ ही, बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम या कैप्टान से उपचार करें.

मसूर की खेती के लिए क्या करें किसान

मसूर की खेती के लिए अक्टूबर का महीना काफी उपयुक्त है. वहीं किसान मसूर की बुवाई के लिए मल्लिका (के 77), बी.आर–25, के एल एस 218, एच.यू. एल 57, पी. एल 5, डब्ल्यू.वी.एल 77 बीजों का चयन कर सकते हैं. वहीं बुवाई के समय खेत की जुताई के दौरान किसान 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही, बुवाई के ठीक दो से तीन दिन पहले बीज का उपचार जरूर कर लें.  

इसके साथ ही कीटनाशी के प्रभाव को कम करने के लिए भी बीज का उपचार किसान जरूर करें. वहीं, बुवाई के ठीक पहले उपचारित बीज को उचित राइजोबियम कल्चर (5 पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित करके ही बुवाई करें. छोटे दाने की प्रजाति के लिए बीज दर 30 से 35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और बड़े दानों के लिए 40 से 45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग करें. बुवाई की दूरी पंक्ति से पंक्ति 30 सेंटीमीटर रखें.

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