महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में सफल उद्यमी बन सकती हैं. कुछ ऐसा करके दिखाया है उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की महिला किसान सुमन देवी ने. जो खेती और पशुपालन एक साथ करके नई मिसाल कायम कर रही है. कभी छोटी जोत की किसान सुमन देवी आज पूरे वाराणसी में 'कृषि सखी' के नाम से जानी जाती हैं. वाराणसी जिले के सेवापुरी ब्लाक के मडैया गांव की रहने वाली सुमन ने सरकारी योजनाओं की मदद से न सिर्फ अपने परिवार को आर्थिक मजबूती दी है, बल्कि हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में नई राह दिखाई है. योगी सरकार से मोटे अनाजों के बीज और तकनीकी सहयोग मिलने के बाद सुमन ने 2019 में प्राकृतिक खेती का रास्ता चुना और आज उनकी पहचान पूरे प्रदेश में मिसाल बन गई है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बीज और तकनीकी सहायता उपलब्ध करा रही है. इसी से प्रेरित होकर सुमन देवी ने खेती का तरीका बदला और प्राकृतिक खेती को अपनाया. वहीं सुमन देवी ने अपने ढाई एकड़ खेत में मक्का, बाजरा और राई जैसे मोटे अनाज की खेती प्राकृतिक तरीके से शुरू की. सरकारी योजनाओं का सहयोग मिला, जिससे खेती में लागत कम रही और मुनाफा उम्मीद से कहीं ज्यादा. अब सुमन हर सीजन में तीन लाख रुपये से अधिक का फायदा कमा रही हैं. वह बड़े गर्व से कहती हैं कि सरकारी योजनाओं ने मेरी जिंदगी बदल दी. पहले सोच भी नहीं सकते थे कि इतनी कम जमीन से इतनी बड़ी आमदनी होगी.
सेवापुरी ब्लाक के मडैया गांव की रहने वाली सुमन देवी की सफलता से प्रेरित होकर आसपास की 5,000 से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनके साथ जुड़ गईं. अब यह महिलाएं अपने अनाज और सब्जियां सुमन के जरिए से बेचती हैं. जबकि पैकेजिंग, प्रसंस्करण और बाजार तक पहुंचाने का काम भी सामूहिक रूप से किया जाता है. इस मॉडल ने ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता और सामूहिक उद्यमिता का रास्ता खोला है.
उधर, सुमन ने अपने गांव में ही चक्की यूनिट स्थापित की है. यहां मोटे अनाजों की पिसाई कर मल्टीग्रेन आटा तैयार किया जाता है. यह आटा ग्राहकों की मांग के अनुसार खुला और पैक दोनों रूपों में उपलब्ध कराया जाता है. स्थानीय बाजार में तो यह उत्पाद तुरंत बिक जाता है, वहीं पैकिंग के जरिए भी कई ग्राहक इसे पसंद कर रहे हैं। सुमन कहती हैं कि मेरे पास ग्राहकों की बड़ी संख्या है. उत्पाद इतना पसंद किया जाता है कि खेती की जोत कम पड़ जाती है. हर सीजन में अनाज तुरंत बिक जाता है. अभी हाल में मक्के की खेती हुई, अब इसमें राई की बुआई हुई है.
अनाज तैयार होते ही कई अन्य अनाजों के साथ इसे मल्टीग्रेन आटा के रूप में बाजार में उपलब्ध कराया जाता है. वो बताती हैं कि इलाके के ज्यादातर ग्राहक चक्की से ही आटा खरीद लेते हैं. इसमें सरकार के मोटे आनाजों की खेती को बढ़ावा और स्वास्थ्य के लिहाज से होने वाले फायदे की वजह से इसकी मांग में बढ़ोत्तरी हुई है.
बता दें कि सुमन देवी केवल मोटे अनाजों तक सीमित नहीं हैं. वह गो-पालन भी करती हैं, जिससे दूध और दुग्ध उत्पादों से आय का अतिरिक्त साधन जुड़ा है. इसके साथ ही उन्होंने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के साथ मिलकर प्राकृतिक सब्जी उत्पादन भी शुरू किया है. इस मिश्रित मॉडल से न सिर्फ नियमित आय हो रही है बल्कि ग्रामीण समाज को “स्वस्थ भोजन, स्वच्छ खेती” का संदेश भी मिल रहा है.
महिला किसान सुमन देवी के घर में उनकी सास, पति और दो बच्चे रहते हैं. उनके पति धर्मेंद्र सिंह पंचायत भवन में कर्मचारी हैं, वो भी खेती में हाथ बंटाते हैं. पूरे परिवार ने मिलकर खेती को आजीविका का मजबूत आधार बना दिया है. सुमन कहती हैं कि आज मैं न सिर्फ अपने परिवार का अच्छे से पालन-पोषण कर रही हूं, बल्कि गांव की हजारों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखा रही हूं.
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