
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि भारत का कृषि क्षेत्र अगले दस वर्षों तक सहज रूप से 4 प्रतिशत की विकास दर बनाए रख सकता है. उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की मांग लगभग 2.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जबकि उत्पादन कहीं तेज रफ्तार से बढ़ रहा है. ऐसे में या तो उत्पादों का उपयोग उद्योग के लिए बढ़ाया जाए या फिर निर्यात बाजार पर अधिक जोर दिया जाए. उनके अनुसार, निर्यात बढ़ाना ज्यादा बेहतर विकल्प है.
चंद ने बताया कि 2025-26 की पहली तिमाही में भारत की कृषि वृद्धि 3.7 प्रतिशत रही थी, जो आने वाले वर्षों में और मजबूत रह सकती है. उन्होंने कहा कि अनाज भंडारण की जरूरतों में चावल और गेहूं के लिए ज्यादा अंतर नहीं है, लेकिन मक्का के लिए स्थितियां अलग होती हैं. इस बारे में उन्होंने भंडारण निवेश पर रेगुलेशन के असर का भी जिक्र किया.
रमेश चंद के मुताबिक, अगर कानून के तहत एक निश्चित मात्रा से अधिक भंडारण की अनुमति नहीं है, तो निवेश निर्णय सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि तीन कृषि कानून लागू न हो पाने के बाद आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधानों का सहारा लेने की जरूरत काफी कम हो गई है.
कार्यक्रम में चंद ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में खाद्य हानि (फूड लॉसेस) को लेकर जो धारणाएं बनाई जाती हैं, वे पूरी तरह सही नहीं हैं. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में उन्होंने यह तथ्य साझा किया था कि देश में दूध जैसी सबसे अधिक नष्ट होने वाली वस्तु में भी नुकसान केवल 0.5 प्रतिशत है. उनके अनुसार, वर्तमान खाद्य नुकसान का बड़ा हिस्सा रोका जा सकता है और यही बात वेयरहाउसिंग में निवेश को प्रोत्साहित करती है. जितना नुकसान कम होगा, निवेशकों के लिए उतना ही फायदा बढ़ेगा.
नीति आयोग के सदस्य ने जोर देकर कहा कि बफर स्टॉक बनाए रखने, वर्ष और मौसम के भीतर कीमतों की स्थिरता सुनिश्चित करने और घरेलू खपत की दृष्टि से वेयरहाउसिंग बेहद जरूरी है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक और आठवां सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका है.
वर्ष 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 354 मिलियन टन तक पहुंच गया था. अनुमान है कि 2030-31 तक यह बढ़कर लगभग 368 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा. ऐसे में वैज्ञानिक भंडारण प्रणालियों और बेहतर पश्चात कटाई प्रबंधन को मजबूत करना जरूरी है, ताकि खाद्य सुरक्षा को मजबूती दी जा सके, किसानों की आय बढ़ाई जा सके और अनावश्यक नुकसान को रोका जा सके. (पीटीआई)