Ujjain Land Pooling में MP सरकार का झोल! फिर भड़का किसान संगठन, अब पूरे राज्‍य में आंदोलन की चेतावनी

Ujjain Land Pooling में MP सरकार का झोल! फिर भड़का किसान संगठन, अब पूरे राज्‍य में आंदोलन की चेतावनी

उज्जैन में लैंड पूलिंग एक्ट पर सरकार के बदले हुए आदेश से किसानों में फिर नाराजगी है. भारतीय किसान संघ ने चेतावनी दी है कि सरकार पूरा एक्ट खत्म न करे तो प्रदेशभर में आंदोलन दोबारा शुरू होगा. संगठन ने बीते दिन जारी नए आदेश पर सवाल खड़े किए हैं.

Ujjain land Pooling BKS Press ConfrenceUjjain land Pooling BKS Press Confrence
क‍िसान तक
  • उज्‍जैन,
  • Nov 20, 2025,
  • Updated Nov 20, 2025, 5:53 PM IST

मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन में किसान एकबार फिर गुस्‍से में हैं. दो दिन पहले किसान हितैषी होने का तमगा लेने के बाद मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने उज्‍जैन में लैंड पूलिंग एक्ट में फिर से यूटर्न लेते हुए किसानों की मुश्किलें कम करने के बजाय बढ़ा दी हैं. अब इसे लेकर किसानों का कहना है कि वे फिर से अपना आंदोलन शुरू करेंगे. दिल्ली में उनके संगठन के भीतर हुई चर्चा के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अगर इस एक्ट को पूरी तरह से खत्म नहीं करती तो वे अपना आंदोलन दोबारा शुरू करेंगे. 

सरकार ने की थी लैंड पूलिंग रद्द करने की घोषणा

दरअसल, लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर मंगलवार से किसान उज्जैन में घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन की शुरूआत करने जा रहे थे. उसके पहले ही प्रदेश सरकार का बुलावा आया और भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की उपस्थिति में लैंड पूलिंग एक्ट का रद्द करने की घोषणा कर दी गई, जिसके बाद किसानों ने आंदोलन की बजाए नगर में जश्न मनाया और इसे अपनी जीत मानने लगे. लेकिन, गुरुवार को संसोधित आदेश जारी होने के बाद किसानों का गुस्सा फिर से फूट पड़ा. जिस आदेश को किसान अपनी जीत मान रहे थे, अब उसे सरकार का छलावा बता रहे हैं. 

भारतीय किसान संघ ने जारी किया बयान

भारतीय किसान संघ ने एक प्रेस नोट जारी किया है. मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी आदेश पर किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है. उनका कहना है कि सरकार से हुई वार्ता में किसान संघ ने लिखित में यह स्पष्ट किया था कि सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पूलिंग एक्ट समाप्त किया जाए और सिंहस्थ को पूर्व की तरह ही आयोजित किया जाए. साथ ही उज्जैन में किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं और सिंहस्थ क्षेत्र में कोई भी स्थायी निर्माण न किया जाए. 

क्‍या है किसान संगठन की मांग ?

प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने बताया कि हमारे चार बिंदु थे, टीडीएस 8, 9, 10, 11, 12 को निरस्त किया जाए, जो नोटिफिकेशन किया है- उसको रद्द किया जाए और सिंहस्थ पूर्व में जैसा होता है, वैसा ही हो. इसके अलावा वैसी ही सड़के बनें जो बनी हुई हैं, उनका रिनोवेशन करें. इसको लेकर सबके सामने यह बात हुई थी कि हम इनको करेंगे और ये सारी जो विकास योजना है, टीडीएस 8, 9, 10, 11 इसको समाप्त करेंगे.

अधि‍कारियों पर चालाकी का आरोप

आंजना ने आगे कहा कि कल शाम को सरकार का जो पत्र आया, उसमें ऐसा लगता है कि अधिकारियों के द्वारा कुछ चलाकी की गई है. टीडीएस 12 में क ख ग के अंतर्गत कुछ संशोधन किया गया है. जिससे भारतीय किसान संघ अपने पुराने आंदोलन की ओर अग्रसर होगा. 

कमल सिंह आंजना का आरोप है कि सरकार अपने वादे से पीछे हट रही है. ये सरकार ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है. इसलिए हमारी मांग है कि इसमें संशोधन नहीं करते हुए पूरे एक्ट को समाप्त किया जाए. नहीं तो किसानों का आंदोलन अब उज्‍जैन में न होकर पूरे प्रदेश में होगा.

क्‍या है उज्‍जैन में लैंड पूलिंग की स्कीम?

लैंड पुलिंग स्कीम के तहत किसानों की 50 प्रतिशत भूमि उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा ली जा रही थी और बची 50 भूमि किसान या भूस्वामी के पास रह जाती. इसमें से 25 प्रतिशत भूमि में रोड (सेंटर लाइटिंग, स्टॉर्म वाटर ड्रेन, सीवर और वाटर लाइन और अंडर ग्राउंड विद्युत लाइन) निर्माण होना था. 

5 प्रतिशत भूमि पर पार्क (बच्चों के लिए झूले एवं स्लाइड्स, आम पब्लिक के लिए वॉकिंग पाथवे, ओपन जिम एवं लॉन व प्लांटेशन) विकसित किए जाने का प्लान था. 5 प्रतिशत भूमि पर आमजन की सुविधा के लिए पार्किंग, जनसुविधा केंद्र, हॉस्पिटल, स्कूल, विद्युत सब-स्टेशन आदि निर्माण सरकार द्वारा किया जाना था.

लैंड पूलिंग एक्ट में मध्यप्रदेश सरकार ने कार्य भी शुरू कर दिया था. सरकार की योजना थी कि लैंड पूलिंग कर सिंहस्थ क्षेत्र में अखाड़ों के लिए पक्के निर्माण कार्य करवाए जाएं. बदले में भूस्वामियों को या तो विकसित संपत्ति का एक हिस्सा या फिर वित्तीय मुआवजा दिया जाए.

कमल सिंह आंजना ने कहा कि हमारी दिल्ली में संगठन से सीधी बातचीत हुई है. उन्होंने बताया है कि आप आगे तैयारी करें और बातचीत के अंदर इसका हल निकले तो ठीक है, नहीं तो किसान संघ फिर से आंदोलन की राह पर जाएगा. (संदीप कुलश्रेष्‍ठ की रिपोर्ट)

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