प्रेरणा और साहस के साथ, व्यक्ति महान ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है. मीरा तिवारी उसी का एक बेहतरीन उदाहरण है. गोंडा जिले के मंगराईचपुरवा गांव की रहने वाली मीरा तिवारी सहजन और जामुन का पाउडर तैयार कर रही हैं. इन उत्पादों की मार्केट में जबरदस्त डिमांड है और इससे उन्हें हर महीने 40 हजार रुपये से अधिक की कमाई घर बैठे हो रही है. वहीं इनकम का दायरा धीरे-धीरे लाखों की तरफ बढ़ता जा रहा है. क्योंकि औषधीय गुणों से भरपूर इनके प्रोडक्ट की बिक्री बहुत तेजी से हो रही है. जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में मीरा ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में मीरा ने बताया कि इस साल हमने सहजन और जामुन से उत्पादों को बनाने का बिजनेस शुरु किया है. पहले ही साल से धीरे-धीरे मुनाफा होने लगा है. उन्होंने बताया कि अपने घर के आसपास सहजन और जामुन के पेड़ घरेलू उपयोग के लिए लगाए गए थे, लेकिन बाद में इसकी जानकारी हुई कि इससे कई औषधीय फायदे है. कई बीमारियों पर इसका पाउडर रामबाण दवाई के तौर पर उपयोग किया जा सकता है. क्योंकि यह बच्चों और बुजुर्गों दोनों के लिए बेहद फायदेमंद है.
मीरा बताती हैं कि मेरे ससुर शुगर की बीमारी से ग्रस्त थे, अब उनका निधन हो चुका है, हम लोगों ने सहजन के पत्तों को पीसकर पाउडर तैयार किया. जिससे काफी हद तक मेरे ससुर का शुगर कंट्रोल हो गया. फिर हमने इससे एक बिजनेस के तौर पर शुरू करने का फैसला लिया. उन्होंने बताया कि सहजन के पत्तों को ‘सुपरफूड’ कहा जाता है. इसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और कई प्रकार के विटामिन की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती हैं. इसलिए अब हम सहजन की पत्तियों और बीजों को अच्छी तरह सुखाकर मिक्सी से पाउडर बनाया जाता है, जिसे पैक करके स्थानीय दुकानों, मार्केटों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बेचा जाता है.
ऑनलाइन मार्केटिंग से उनके प्रोडक्ट अब गोंडा से बाहर भी डिलीवर हो रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी और भी बढ़ गई है. वहीं गोंडा के एक माल में भी यह प्रोडक्ट बेचा जा रहा है. उन्होंने बताया कि हम स्वयं सहायता समूह (SHG) से भी जुड़ी हुई हूं. वजीरगंज ब्लॉक की मीरा तिवारी पहले एक हाउस-वाइफ थी, लेकिन अब लोग एक उद्यमी के रूप में पहचानते है. वह कहती हैं कि एक डिब्बे का विक्रय मूल्य 150 प्रति डिब्बा है. एक दिन में औसतन 20 से अधिक डिब्बों की सेल हो जाती हैं.
मीरा ने बताया कि सहजन के पेड़ की जड़ से लेकर फल तक गुणकारी है. सहजन के तने, पत्ते, छाल, फूल, फल और कई अन्य भागों का अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है, जो 300 से ज्यादा बीमारियों की दवा है. वहीं जामुन पाउडर की सबसे ज़्यादा मांग डायबिटीज के मरीजों के बीच है. यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है और पेट संबंधी समस्याओं से राहत देता है. इसकी पाचन शक्ति बढ़ाने वाली गुणवत्ता के चलते इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है.
उन्होंने बताया कि जामुन के सिरका की डिमांड बहुत ज्यादा आती हैं. एक किलो जामुन का सिरका 220 रुपये में बिक जाता है. मीरा तिवारी की सफलता की कहानी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है. उन्होंने न केवल खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का मार्ग दिखाया हैं.
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