मछली उत्पादन में बिहार आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ अब अन्य देशों और राज्यों में निर्यात कर रहा है. इस मुकाम को हासिल करने में मछुआरा समुदाय का विशेष योगदान है. साथ ही, मछली पालन में विशेष रूप से मछुआरों के लिए सरकार कई योजनाओं के माध्यम से अनुदान दे रही है. इसी कड़ी में बिहार सरकार इस साल मछुआरों के लिए विशेष नाव और जाल पैकेज वितरण योजना लेकर आई है. इसके तहत राज्य मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्यों या परंपरागत मछुआरों को नाव या जाल की खरीद पर निर्धारित इकाई लागत का 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक इस साल के अंत तक आवेदन कर सकते हैं.
नाव और जाल पैकेज वितरण योजना का लाभ राज्य के सभी जिलों के परंपरागत मछुआरों के साथ-साथ महिला मछुआरों, अनुसूचित जाति, और अनुसूचित जनजाति के मछुआरों को मिलेगा. इस योजना के तहत राज्य के मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्य या मछुआरे, जो मत्स्य शिकार काम में लगे हैं, उनमें से प्रत्येक व्यक्ति या परिवार को फिशिंग वुडन बोट पैकेज, फिशिंग एफआरपी बोट पैकेज, और कॉस्ट (फेका) जाल पैकेज में से अधिकतम एक ही अवयव का लाभ मिलेगा.
नाव और जाल पैकेज वितरण योजना के तहत इच्छुक और योग्य आवेदक 31 दिसंबर तक वेबसाइट https://fisheries.bihar.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आवेदन के लिए आवेदक को अपना मोबाइल नंबर, बैंक शाखा का नाम, बैंक खाता संख्या, आईएफएससी कोड, आधार कार्ड नंबर, बैंक खाता, और मत्स्य शिकार से संबंधित साक्ष्य की जरूरत होगी. फिशिंग वुडन बोट पैकेज के लिए इकाई लागत 1,24,400 रुपये, फिशिंग एफआरपी बोट पैकेज के लिए 1,54,400 रुपये, और कॉस्ट (फेका) जाल पैकेज के लिए 16,700 रुपये निर्धारित की गई है. लाभार्थियों का चयन उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा.
राज्य सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा शुरू की गई इस योजना से मछुआरों का सशक्तिकरण होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी. राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी नाव और जाल पैकेज वितरण योजना का लाभ राज्य के सभी जिलों के मछुआरे उठा सकते हैं. वहीं, इस संबंध में अधिक जानकारी जिला मत्स्य कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है.
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