समय के साथ खेती के तौर-तरीकों में काफी बदलाव हुए हैं. आधुनिक युग में अब खेती के साथ-साथ पेड़-पौधों को लगाने के लिए कई तरह के मॉडल विकसित हुए हैं, जिनमें से एक हाइड्रोपोनिक मॉडल है. इस तकनीक से जुड़कर लोग अपना खुद का स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं. कई लोग तो सरकारी नौकरी छोड़कर हाइड्रोपोनिक तकनीक के जरिए नर्सरी चला रहे हैं और विद्यार्थियों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं पटना जिले के कंकड़बाग इलाके में रहने वाले मोहम्मद जावेद आलम. उन्होंने पारंपरिक कृषि के बजाय हाइड्रोपोनिक तकनीक (केवल पानी के सहारे) को अपनाया और शहरी माहौल में भी खेती का सफल मॉडल पेश किया.
‘किसान तक’ से बातचीत में जावेद आलम ने बताया कि 1993 तक वे पटना के कृष्ण विज्ञान केंद्र में एजुकेशन ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे. कॉलेज के दिनों में वनस्पति विज्ञान की पढ़ाई के दौरान हाइड्रोपोनिक तकनीक से जुड़े ज्ञान को उन्होंने अपने कर्मक्षेत्र के रूप में अपनाने का निश्चय किया. उनका कहना है कि मिट्टी के बिना भी हम सब्जियों के साथ-साथ इनडोर और आउटडोर पौधे केवल पानी के सहारे (हाइड्रोपोनिक तकनीक) उगा सकते हैं.
वहीं, साल 2020 में उन्होंने अपने घर में ही हाइड्रोपोनिक तकनीक से तैयार इनडोर और आउटडोर पौधों की एक दुकान खोली, जहां 100 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के पौधे उपलब्ध हैं. इस काम में उन्होंने चार लोगों को रोजगार भी दिया है.
जावेद आलम न केवल हाइड्रोपोनिक तकनीक के सहारे व्यवसाय चला रहे हैं, बल्कि अपने घर में भी इसी तकनीक से सब्जियां और फल उगा रहे हैं. इंटीग्रेटेड फार्मिंग के तहत उन्होंने घर की छत पर मुर्गी, बटेर, मछली पालन और फल-सब्जियों की खेती छोटे स्तर पर शुरू की है. आज उनके पास 300 से अधिक पौधे हैं, जिनमें बैंगन, नैनुआ, झिंगुनी, टमाटर, मिर्च, लौकी सहित कई मौसमी सब्जियां और फल और सजावटी पौधे शामिल हैं. साथ ही, वे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए भूजल स्तर बनाए रखने में भी योगदान दे रहे हैं.
जावेद आलम बताते हैं कि नर्सरी चलाने के साथ वे वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण भी देते हैं. वे कहते हैं कि हाइड्रोपोनिक तकनीक में पौधों की जड़ों की संरचना (प्राइमरी रूट, सेकेंडरी रूट, टर्शियरी रूट और एक्स्ट्रा रूट) स्पष्ट रूप से दिख जाती है, जबकि मिट्टी में ऐसा संभव नहीं होता. अब तक वे हाइड्रोपोनिक पर 11 किताबें लिख चुके हैं, जिनमें विभिन्न पद्धतियों, पौधों की देखभाल और शहरी खेती के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी गई है.
जावेद आलम का मानना है कि भविष्य हाइड्रोपोनिक तकनीक का है, क्योंकि इसमें पानी की बेहद कम जरूरत होती है और कम लागत में पौधे तैयार किए जा सकते हैं. इसमें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होने के कारण घर के अंदर भी पौधे उगाए जा सकते हैं. महीने में केवल दो बार प्रत्येक पौधे में तरल खाद डालनी होती है. वर्तमान में वे पानी के सहारे (हाइड्रोपोनिक) गेहूं उत्पादन की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो शहरी क्षेत्रों में अनाज की खेती का एक नया रास्ता खुलेगा.