
अमेरिका ने हाल ही में कई कृषि उत्पादों पर लगाए गए reciprocal tariffs (पारस्परिक टैरिफ) से कुछ वस्तुओं को बाहर कर दिया है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम से भारत को हल्का लेकिन महत्वपूर्ण फायदा मिल सकता है. यह खबर खासकर भारतीय किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भविष्य में कृषि निर्यात के नए अवसर खुल सकते हैं.
व्हाइट हाउस ने 12 नवंबर को एक एग्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया जिसमें कई कृषि उत्पादों को टैरिफ से छूट दी गई है. ये छूट 13 नवंबर से लागू हो चुकी है.
छूट वाली वस्तुएँ:
अमेरिका ने माना है कि इन उत्पादों का या तो अमेरिका में उत्पादन कम होता है, या इनके लिए जलवायु अनुकूल नहीं है. इसलिए इन्हें आयात पर भारी शुल्क से मुक्त किया गया है.
GTRI के मुताबिक, टैरिफ छूट वाली इन वस्तुओं में अमेरिका सालाना करीब 50.6 बिलियन डॉलर का आयात करता है.
लेकिन भारत इसमें सिर्फ 548 मिलियन डॉलर का योगदान देता है- यानी बेहद छोटा हिस्सा.
भारतीय निर्यात अभी कुछ ही वस्तुओं में केंद्रित है:
रिपोर्ट बताती है कि भारत का टमाटर, खट्टे फल, तरबूज-खरबूजा, केला, ताज़े फल और फलों के रस जैसे बड़े बाजारों में लगभग कोई योगदान नहीं है. यही वे श्रेणियां हैं जहाँ अमेरिका सबसे ज्यादा आयात करता है- और अभी भारत उनसे लाभ नहीं उठा पा रहा है.
टैरिफ छूट का सबसे जल्दी फायदा इन सेक्टरों को मिल सकता है:
अगर भारतीय कंपनियाँ और निर्यातक तेज़ी दिखाएँ, तो अमेरिका के बाजार में निर्यात थोड़ा और बढ़ सकता है.
GTRI का कहना है कि असली फायदा उन्हें मिलेगा जो बड़ी मात्रा में उत्पादन और तेज़ सप्लाई चेन संभाल सकते हैं- जैसे लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और ASEAN देश.
भारत को बड़ा लाभ मिलेगा केवल तभी, जब हम:
अमेरिका की यह टैरिफ छूट भारत के लिए एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण अवसर है. अभी इसका सीधा लाभ मसालों और चाय जैसे उत्पादों तक सीमित रहेगा, लेकिन अगर भारत अपनी उत्पादन क्षमता, गुणवत्ता और सप्लाई चेन को मजबूत करे तो आने वाले वर्षों में कृषि निर्यात कई गुना बढ़ सकता है. किसानों के लिए यह समय है कि वे नए बाजारों की जरूरतों को समझें और आधुनिक खेती व प्रोसेसिंग तकनीक अपनाएं.
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