गांव की बेटी बनी जीवनधारा: बिना सरकारी मदद के 350 परिवारों को फ्री पेयजल, ऑर्गेनिक खेती में भी मनवाया लोहा

गांव की बेटी बनी जीवनधारा: बिना सरकारी मदद के 350 परिवारों को फ्री पेयजल, ऑर्गेनिक खेती में भी मनवाया लोहा

सहारनपुर की 20 वर्षीय शुभावरी चौहान ऑर्गेनिक खेती करती हैं और इस काम में उन्होंने अपना लोहा मनवाया है. अब उन्होंने समाज सेवा में बड़ा काम करते हुए 350 परिवारों को मुफ्त पेयजल की सप्लाई दी है जिससे लोगों की प्यास बुझ रही है. इसके लिए उन्हें सम्मान भी मिल चुका है.

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राहुल कुमार
  • Saharanpur,
  • Jun 26, 2025,
  • Updated Jun 26, 2025, 6:20 AM IST

सहारनपुर जिले की विधानसभा बेहट के छोटे से गांव कोठड़ी बहलोलपुर की 20 वर्षीय किसान पुत्री शुभावरी चौहान ने वह कर दिखाया है, जो बड़े-बड़े सरकारी तंत्र भी नहीं कर पाए. भीषण गर्मी में जहां देशभर के कई गांव पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं, वहीं शुभावरी के अथक प्रयासों से उनका गांव अब पानी के संकट से मुक्त हो चुका है. शुभावरी ने न सिर्फ पूरे गांव में 7 से 8 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछवाई बल्कि दो सबमर्सिबल ट्यूबवेल भी लगवाए, जिनसे गांव के करीब 300 से 350 परिवारों को निःशुल्क पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. यह काम उन्होंने बिना किसी सरकारी मदद के, पूरी तरह अपने संसाधनों और ग्रामीणों के सहयोग से किया.

शुभावरी की यह प्रेरणादायक यात्रा वर्ष 2007 में शुरू हुई, जब उनके पिता संजय चौहान ने गांव में एक ट्यूबवेल लगाया, लेकिन पथरीली ज़मीन और गहरे जलस्तर के कारण वह असफल रहा और परिवार को करीब 13 लाख रुपये का नुकसान हुआ. इस असफलता ने उनके पिता को हताश कर दिया, लेकिन शुभावरी ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करने की ठान ली. कुछ वर्षों बाद उन्होंने दूसरा ट्यूबवेल सफलतापूर्वक लगवाया और इसके बाद गांव में पानी की पाइपलाइन बिछाने का बीड़ा उठाया. इस काम में उनका खर्च लाखों रुपये तक पहुंच गया, फिर भी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

गांव में हर घर पानी पहुंचाने का लिया जिम्मा

गांव के हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए शुभावरी ने आधुनिक तकनीक का सहारा लिया. ट्यूबवेल को मोबाइल फोन के जरिए चालू और बंद किया जा सकता है, जिससे किसी को भी पानी भरने के लिए रात में खेत या दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती. फोन लगाइए और घर की टंकी में पानी भरने लगेगा. यह सुविधा न सिर्फ ग्रामीणों के लिए वरदान बनी, बल्कि मिलिट्री कैंप के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो रही है, जिन्हें शुभावरी निःशुल्क पानी और बिजली उपलब्ध कराती हैं.

शुभावरी का कहना है कि यह सब उनके पिता का सपना था कि गांव की कोई भी बेटी, कोई भी परिवार पानी के लिए तरसे नहीं. यही सोच उन्हें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही. गांव में पहले कुएं और हैंडपंप से बड़ी मुश्किल से पानी खींचना पड़ता था. कई बार हैंडपंप भी जवाब दे जाते थे. लेकिन आज, हर घर में पानी की टंकी है, हर नल से पानी आता है, और वह भी मुफ्त में. शुभावरी बताती हैं कि 2024 में उन्होंने अपने पिता से कहा कि अब पानी की सुविधा पूरी तरह मुफ्त कर देनी चाहिए और उन्होंने तुरंत यह फैसला लागू कर दिया.

नेक काम के लिए मिला बड़ा सम्मान

उनके इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें चंद्रशेखर आज़ाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कानपुर द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में नेशनल वाणी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान न केवल शुभावरी की मेहनत और लगन का परिणाम है, बल्कि यह इस बात का उदाहरण भी है कि अगर जज़्बा और सेवा का भाव हो तो कोई भी व्यक्ति समाज को एक नई दिशा दे सकता है.

आज शुभावरी चौहान सहारनपुर के ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश और देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. वे ऑर्गेनिक खेती में इंटरनेशनल स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुकी हैं और अब जल संरक्षण और ग्रामीण विकास में भी उनका नाम अग्रणी लोगों में गिना जा रहा है. गांव के लोग गर्व से कहते हैं कि आज हमें सरकार नहीं, हमारी अपनी बेटी शुभावरी पानी पिला रही है – और वो भी बिना एक पैसा लिए. यही है असली समाज सेवा और नई पीढ़ी का असली चेहरा.

सरकारी मदद के बिना दी सुविधा

शुभावरी चौहान कहती हैं, सरकार की तरफ से यहां पर योजना (पेयजल) तो आई है, ट्यूबवेल लगा है लेकिन वह सक्सेस नहीं हो पाया. हमारा 365 दिन चलता है, बस अगर आंधी तूफान की वजह से लाइट खराब ना हो तो. हमने ट्यूबेल पर एक ऑपरेटर लगा रखा है जो कि हमारे फोन से ही चल जाता है और बंद भी हो जाता है. ऐसा नहीं है कि अगर रात में रात किसी को ट्यूबवेल से पानी चाहिए हो तो रात को उठकर ट्यूबवेल पर जाना पड़े. वह सिर्फ फोन से ही चल जाता है और फोन से ही बंद हो जाता है. इसी के साथ हमारे यहां मिलिट्री के भी कैंप लगते हैं उन्हें भी पानी और लाइट फ्री में प्रोवाइड करते हैं, क्योंकि थोड़ी देर सेवा और समाज सेवा भी करनी चाहिए.

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