
महाराष्ट्र अब जल्द ही देश में नैचुरल फार्मिंग के सेंटर के तौर पर जाना जाएगा, यह कहना है राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का. सीएम फडणवीस ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में अपने इस सपने को सबके सामने रखा. उन्होंने वह ब्लूप्रिंट भी सबके सामने रखा जिसके जरिये राज्य को नैचुरल फार्मिंग का सेंटर बनाया जाएगा. फडणवीस का कहना था कि नैचुरल फार्मिंग आज न सिर्फ हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए जरूरी है बल्कि किसानों के लिए फायदेमंद भी है.
सीएम फडणवीस ने एक कार्यक्रम में शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र अब प्राकृतिक खेती का अगला केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है. उन्होंने बताया कि रासायनिक उर्वरकों और हाइब्रिड बीजों के बहुत ज्यादा प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता में कमी आई है और किसानों की लागत बढ़ी है. फडणवीस का कहना था कि कहा कि प्राकृतिक खेती एक टिकाऊ विकल्प प्रदान करती है, जो खेती की लागत को घटाती है, मिट्टी के स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करती है और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से उत्पादकता बढ़ाती है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह बात राजभवन में आयोजित ‘प्राकृतिक खेती सम्मेलन’ में कही, जहां राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन महाराष्ट्र की कृषि व्यवस्था को प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल पद्धतियों के माध्यम से बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. फडणवीस ने बताया कि महाराष्ट्र में साल 2014 में शुरू किए गए ‘प्राकृतिक खेती मिशन’ के तहत अब तक 14 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है. साल 2023 में माननीय राज्यपाल के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ाकर 25 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा, 'जलवायु परिवर्तन का कृषि पर पड़ने वाला प्रभाव केवल तभी कम किया जा सकता है, जब हम पूरी तरह से प्राकृतिक खेती की ओर रुख करें.' उन्होंने आगे कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान के निदेशक सिद्धांतों में गोसंवर्धन (गायों के संरक्षण) के महत्व पर जोर दिया था. फडणवीस ने कहा, 'गौमाता का कृषि में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है, और गोधन (गायों की संपदा) का संरक्षण खेती के जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है.
राज्यपाल आचार्य देवव्रत की दूरदृष्टि और कृषि में उनके इनोवेटिव दृष्टिकोण से प्रेरणा लेकर महाराष्ट्र ने बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती मिशन लागू किया है, जिससे राज्य प्राकृतिक खेती का अगला प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है.' अपने संबोधन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राज्य मंत्रिमंडल और महाराष्ट्र विधानमंडल के सदस्यों से मिशन मोड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की अपील की. उन्होंने जैविक (ऑर्गेनिक) खेती और प्राकृतिक खेती के बीच का अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती लंबे समय में अधिक लाभदायक और टिकाऊ साबित होती है.
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