
महाराष्ट्र के नासिक जिले के निफाड़ तालुका के कोटमगांव में एक अंगूर किसान ने मजबूरी में अपने दो एकड़ के अंगूर बाग को उखाड़ना शुरू कर दिया है. लगातार तीन से चार साल से चल रही बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने उसकी मेहनत को बर्बाद कर दिया. किसान का कहना है कि अब फसल से एक रुपये की भी आय नहीं हो रही, ऊपर से बैंक का कर्ज 18 लाख रुपये तक पहुंच गया है.
किसान संजय गांगुर्डे और उनकी मां मंगला गांगुर्डे ने बताया कि वे पिछले दस सालों से अंगूर की खेती कर रहे हैं, लेकिन लगातार खराब मौसम से फसल चौपट हो रही है. “तीन साल से अंगूर से कोई आमदनी नहीं हुई. बैंक ऑफ इंडिया से नौ लाख का कर्ज लिया था, अब यह बढ़कर 18 लाख हो गया है,” किसान ने बताया.
इस साल लगातार बारिश और बादल छाए रहने के कारण अंगूर के बाग में फल ही नहीं लगे.
किसान ने बताया कि उसने तलाठी और कृषि अधिकारी से पंचनामा की मांग की, लेकिन कोई मौके पर नहीं आया.
बढ़ते कर्ज और सरकारी लापरवाही से परेशान होकर किसान ने अपने हाथों से बाग उखाड़ने का फैसला किया.
“अब मजदूरी देने के भी पैसे नहीं बचे हैं, रिश्तेदारों की मदद से ही बाग निकाल रहे हैं,” किसान ने कहा.
संजय गांगुर्डे के बेटे अजित गांगुर्डे ने कहा, “तीन-चार साल से अंगूर से एक रुपये की भी आमदनी नहीं हुई. लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. अब आत्महत्या या कर्जमाफी ही रास्ता बचा है.”
लासलगांव और निफाड़ क्षेत्र महाराष्ट्र का प्रमुख अंगूर उत्पादन क्षेत्र है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से लगातार मौसमी अनियमितता, कीट रोग और कर्ज के कारण किसान बड़ी मुश्किल में हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मौसम इसी तरह अनिश्चित रहा तो आने वाले सीजन में अंगूर का उत्पादन 30 से 40 प्रतिशत तक घट सकता है.
किसान संगठन राज्य सरकार से कर्जमाफी और आपदा राहत मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार पंचनामा कराकर फसल नुकसान की भरपाई करे और किसानों को आत्महत्या से बचाने के लिए ठोस कदम उठाए.
महाराष्ट्र के नासिक में अंगूर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. नासिक का नाम प्याज की खेती के साथ साथ अंगूर की खेती के लिए भी है. यहां पैदा हुआ अंगूर देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक सप्लाई होती है. किसान अंगूर की खेती से बेहतर कमाई करते हैं. नासिक आसपास का मौसम अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है.(प्रवीण ठाकरे का इनपुट)