
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एमएसपी नीति ने दलहन की खेती को नई दिशा दी है. महाराष्ट्र के अहिल्यानगर के किसान कृषि भूषण सूर सिंहाराव पवार ने बताया कि 2019 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ने के बाद दलहन की कीमतें 5650 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं. पहले यह कीमत 4000 रुपये-4200 रुपये के बीच थी. यह वृद्धि किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हुई है. पवार और अपने खेतों में चना और तुअर की खेती करते हैं.
सरकार ने ऐलान किया है कि किसानों से शत-प्रतिशत दलहन की उपज खरीदी जाएगी. सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अधिक से अधिक दलहन की खेती करें क्योंकि इसके आयात पर सरकारी खजाने का भारी खर्च होता है. देश दलहन के क्षेत्र में बहुत बड़ा आयातक है. इसे देखते हुए दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.
दलहन की खेती न केवल आर्थिक लाभ देती है, बल्कि जमीन की उर्वरता को भी बढ़ाती है. दलहन किसान पवार ने बताया कि दलहन की फसल में राइजोबियम और ट्राइकोडर्मा जैसे उपचारों से जमीन में नाइट्रोजन की प्राकृतिक आपूर्ति होती है. एक एकड़ जमीन में लगभग 140 किलो नाइट्रोजन बिना किसी अतिरिक्त खर्च के मिलती है. यह क्रॉप रोटेशन के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे जमीन सुरक्षित रहती है और फसल उत्पादन में सुधार होता है.
दलहन की फसल का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. पवार ने बताया कि हर व्यक्ति को प्रतिदिन 70-80 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है, जिसे दलहन से पूरा किया जा सकता है. यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है.
किसानों के लिए सरकार की कई योजनाएं हैं जो दलहन की खेती को प्रोत्साहित करती हैं. पवार ने बताया कि फसल बीमा, सिंचाई सब्सिडी, पीएम किसान योजना और अन्य सरकारी सहायता से किसानों को काफी लाभ मिलता है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और योजनाएं किसानों के लिए एक बड़ी राहत हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि वे अधिक से अधिक दलहन की खेती करें और दाम के लिए बेफिक्र रहें. उन्होंने कहा है कि सरकारी एजेंसियां शत-प्रतिशत दलहन की खरीद करेंगी. इससे किसानों को दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. कृषि मंत्री ने अधिक से अधिक किसानों से दलहन की खेती करने की अपील की.
प्रधानमंत्री की एमएसपी नीति और सरकार की योजनाओं ने दलहन की खेती को बढ़ावा दिया है. इससे न केवल किसानों को आर्थिक लाभ हुआ है, बल्कि जमीन की उर्वरता और स्वास्थ्य के लिए भी यह फायदेमंद साबित हो रही है. किसानों को चाहिए कि वे इन योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाएं और दलहन की खेती को प्राथमिकता दें.