यूपी में रोल मॉडल बनी अलीगढ़ की महिलाएं, कचरे से बना रहीं 'कंचन', पढ़ें सफलता की कहानी

यूपी में रोल मॉडल बनी अलीगढ़ की महिलाएं, कचरे से बना रहीं 'कंचन', पढ़ें सफलता की कहानी

Aligarh News: इस परिवर्तन के केंद्र में पंचायत की जमीन पर बनी जैव उर्वरक यूनिट है. जब नीलम देवी ने इस जमीन को लीज पर लेने का निर्णय लिया तो यह कस्बे की महिला किसानों के लिए महत्वपूर्ण मोड़ बन गया इसका परिणाम है कि स्वस्थ मिट्टी से कम लागत में मजबूत और अधिक फसलें पैदा हो रही हैं.

उत्तर प्रदेश के गांवों में शक्तिशाली बदलाव हो रहा है (सांकेतिक तस्वीर)उत्तर प्रदेश के गांवों में शक्तिशाली बदलाव हो रहा है (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • LUCKNOW,
  • Oct 27, 2025,
  • Updated Oct 27, 2025, 3:19 PM IST

उत्तर प्रदेश के गांवों में महिलाएं चेंजमेकर और आत्मविश्वास के साथ रोज़मर्रा की चुनौतियों को विकास के अवसर में बदल रही हैं. इसी क्रम में अलीगढ़ के टप्पल ब्लॉक के भरतपुर गांव में कचरे को सोने में बदला जा रहा है. इसका श्रेय टप्पल समृद्धि महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को जाता है, जो 2022 में स्थापित महिला-प्रधान किसान उत्पादक संस्थान (एफपीओ) है. यह अब 1,000 से अधिक महिला किसानों को एकजुट किया है. सबसे खास बात है कि सिर्फ दो वर्षों में इसे ‘लाइटहाउस एफपीओ’ का दर्जा मिल गया है.

पंचायत की जमीन लीज पर लेकर लगाया जैव उर्वरक यूनिट

इस परिवर्तन के केंद्र में पंचायत की जमीन पर बनी जैव उर्वरक यूनिट है. जब नीलम देवी ने इस जमीन को लीज पर लेने का निर्णय लिया तो यह कस्बे की महिला किसानों के लिए महत्वपूर्ण मोड़ बन गया. महिलाएं रोजमर्रा के कचरे जैसे गाय का गोबर, रसोई के बचे खाने के टुकड़े, फसल अवशेष को इकट्ठा कर आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित नई तकनीक का उपयोग करके जैविक उर्वरक में बदलती हैं. इसका परिणाम है कि स्वस्थ मिट्टी से कम लागत में मजबूत और अधिक फसलें पैदा हो रही हैं.

संचालन से लेकर वित्तीय प्रबंधन तक महिलाएं लेती हैं निर्णय

बता दें कि यह यूनिट केवल उत्पादन स्थल नहीं है, यह सशक्तीकरण का मंच भी है. महिलाएं संचालन, वित्तीय प्रबंधन और महत्वपूर्ण निर्णय लेती हैं. ब्लॉक के किसान बेहतर मिट्टी और कम लागत का लाभ उठाते हैं, जबकि पंचायत को लीज से नियमित आय प्राप्त होती है, जिससे स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है.

यहां समुदाय, सरकार और बाजार मिलकर काम करते हैं. जबकि महिलाएं नेतृत्व करती हैं, नीतियां सहयोग करती हैं और खरीदार प्रतिक्रिया देते हैं. इस मॉडल ने कचरे को संपति में बदलने, नेतृत्व कौशल बढ़ाने और यह साबित करने का काम किया कि सतत खेती लाभदायक हो सकती है.

जैविक खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश

अलीगढ़ में ‘लाइटहाउस एफपीओ’ का संचालन करने वाली नीलम देवी ने बताया कि जैविक खाद में गोबर खाद और कंपोस्ट खाद का विशेष महत्व है. इसका संतुलित उपयोग कर किसान अपने खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते है. उन्होंने कहा कि पशुओं के गोबर, मूत्र से तैयार खाद को जैविक खाद कहते हैं. इसमें सामान्य रूप से 0:5 फीसद नाइट्रोजन, 0.2 फीसद फास्फोरस और 0.5 फीसद पोटाश पाया जाता है. रबी सीजन वाले प्याज की रोपाई अब भी जारी है. ऐसे में जैविक खाद की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ गई है. 

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