एक एकड़ में कई मौसमी सब्जियों की जुगाड़ से खेती, पढ़ें सीतापुर के किसान की सफल कहानी

एक एकड़ में कई मौसमी सब्जियों की जुगाड़ से खेती, पढ़ें सीतापुर के किसान की सफल कहानी

Sitapur News: सीतापुर के महोली ब्लॉक निवासी किसान इंद्रजीत मौर्य बताते हैं कि हम अपने एक एकड़ खेत में हर वो मौसमी सब्जियों को उगाते है, जिसकी डिमांड मार्केट में बनी रहती है. उन्होंने बताया कि अभी करेला, देसी परवल और देसी खीरा को उगाया है. जिसकी पैदावार अच्छी हुई है.

सीतापुर के मल्लपुर चौबे गांव के किसान इंद्रजीत मौर्यसीतापुर के मल्लपुर चौबे गांव के किसान इंद्रजीत मौर्य
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Jun 17, 2025,
  • Updated Jun 17, 2025, 6:36 PM IST

पढ़ाई में मन नहीं लगा तो खेती-किसानी की तरफ रुख कर लिया. आज हम आपको सीतापुर के एक सफल किसान इंद्रजीत मौर्य की कहानी बताने जा रहे हैं कि जिनकी शिक्षा कुछ भी नहीं है, लेकिन उनकी खास तकनीक को देखकर बड़े-बड़े कृषि वैज्ञानिक दंग रह जाते हैं. इंद्रजीत 12 महीने मौसमी सब्जियों की खेती करते है, जिससे साल में उनकी 3-4 लाख रुपये की आय हो जाती है.

मिश्रित खेती के कई फायदे

इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में मल्लपुर चौबे गांव के निवासी इंद्रजीत मौर्य ने बताया कि एक एकड़ खेत में साल भर में 10 से अधिक सब्जियों की खेती करते है, सभी सब्जियों को मौसम के हिसाब से किया जाता है. उन्होंने बताया कि वह खेती के लिए खुद का बनाया हुआ छोटा से पॉलीहाउस नर्सरी, मल्चिंग, जुगाड़ तरीके से मचान बनाकर मल्टीलेयर फार्मिंग करते हैं.

देसी खीरा के साथ किसान इंद्रजीत मौर्य

वहीं मिश्रित खेती करने पर कम लागत में अधिक उत्पादन होता है. दूसरा खेत की जहां उर्वरा शक्ति बनी रहती है, वहीं किसानों की आमदनी भी बढ़ जाती है.

जुगाड़ से तैयार किया पॉलीहाउस नर्सरी

सीतापुर के महोली ब्लॉक निवासी किसान इंद्रजीत मौर्य बताते हैं कि हम अपने एक एकड़ खेत में हर वो मौसमी सब्जियों को उगाते है, जिसकी डिमांड मार्केट में बनी रहती है. उन्होंने बताया कि अभी करेला, देसी परवल और देसी खीरा को उगाया है. जिसकी पैदावार अच्छी हुई है. 12 फुट चौड़ा और 70 फुट लंबा का एक छोटा से पॉलीहाउस नर्सरी भी बनाया है, क्योंकि अधिक ठंडक में सब्जियों के पौधों को बचाया जा सके. 

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और गोबर खाद का प्रयोग

इंद्रजीत ने बताया कि सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया हुआ है. वहीं, खर्च बचाने के लिए वे खुद से तैयार गोबर का खाद और गोमूत्र से कीटनाशक बनाकर सब्जियों की खेती में इस्तेमाल करते हैं.

तड़के सुबह-सुबह करते है देसी खीरा की तुड़ाई

प्रगतिशील किसान इंद्रजीत मौर्य ने बताया कि हमारे खेत की सब्जियों का बाजार में बेहतर दाम मिलता है क्योंकि वे सुबह 3 बजे से खीरे जैसी फसल की तुड़ाई करते हैं और सुबह 7 बजे तक उसे मंडी में पहुंचा देते हैं. ऐसे में उनकी उपज दूसरों के मुकाबले ज्यादा ताजा रहती है, इसलिए उन्हें अच्छी कीमत मिल जाती है.

हर साल करेला की कर रहे बंपर पैदावार

हमारी सब्जियां सीतापुर, गोला और महोली के मंडियों में भेजा जाता है. वहीं एक एकड़ में आजकल रोजाना 1.25 क्विंटल देसी खीरा निकल कर मंडी भेजा जा रहा है. जबकि 18-20 रुपये प्रति किलो के भाव से खीरा की बिक्री हो रही है. 

टमाटर और गोभी की फसल में हुआ घाटा

उन्होंने बताया कि पिछले साल अधिक ठंड पड़ने के कारण टमाटर और गोभी की फसल को बहुत नुकसान पहुंचा था. तकरीबन 1.5 लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ा था. मौर्य का कहना हैं कि सब्जियों की खेती पूरी मौसम पर आधारित होती है. अगर मौसम ने साथ दिया तो पैदावार बेहतर होगी, वरना कभी-कभी घाटा भी हो जाता है.

इंद्रजीत मौर्य ने कई गांवों में बनाई अलग पहचान 

मौर्य ने कहा कि खेती-किसानी करके भी आप महीने में लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको नई तकनीक अपनानी होगी. आज इंद्रजीत मौर्य की पहचान आसपास के गांवों में भी होने लगी है. कई किसान उनसे खेती-बारी के गुर सिखने के लिए आ रहे हैं. 

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