Aseem Rawat Success Story: इंजीनियर बना गोपालक! डेयरी फार्मिंग में रचा इतिहास, देसी गायों से हर साल करोड़ों का कारोबार, जानिए कैसे 

Aseem Rawat Success Story: इंजीनियर बना गोपालक! डेयरी फार्मिंग में रचा इतिहास, देसी गायों से हर साल करोड़ों का कारोबार, जानिए कैसे 

गाजियाबाद के इंजीनियर असीम रावत ने नौकरी छोड़ देसी गायों का डेयरी फार्म शुरू किया है. आज वह जहां सालाना करोड़ों रुपए कमा रहे हैं, वहीं 100 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रखा है. आइए असीम की सफलता की कहानी जानते हैं. 

Aseem Rawat at Dairy FarmAseem Rawat at Dairy Farm
क‍िसान तक
  • गाजियाबाद ,
  • May 30, 2025,
  • Updated May 30, 2025, 1:55 AM IST

    नौकरी छोड़कर कारोबार करने का सपना अधिकांश लोग देखते हैं लेकिन हर कोई इस सपने को साकार नहीं कर पाता है. आज हम यूपी के गाजियाबाद निवासी एक ऐसे शख्स की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर डेयरी फार्म शुरू किया.

    इससे वह न सिर्फ करोड़ों रुपए कमा रहे हैं बल्कि गायों के संरक्षण के लिए भी एक खास पहल की है. जी हां, हम बात कर रहे हैं असीम रावत की. असीम आज अपनी मेहनत और लग्न से उस मुकाम तक पहुंच गए हैं कि अब उनका काम ही उनकी पहचान बन गया है. आज उनके डेयरी फार्मिंग की हर कोई चर्चा कर रहा है. 

    सालाना टर्नओवर है करोड़ों में
    असीम रावत के डेयरी फॉर्म में आज 1100 देसी गायें हैं और सालाना टर्नओवर करोड़ों में है. असीम रावत बचपन से पढ़ाई में होशियार थे. बीटेक किया और फिर मल्टीनेशनल कंपनी में मोटी सैलरी की नौकरी की, लेकिन मशीनों के साथ वक्त बिताते-बिताते गांव की मिट्टी और खेत-खलिहान की याद आने लगी. यहीं से उन्होंने पशुपालन करने का फैसला किया. साल 2015 में असीम ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया. घर वालो ने विरोध किया लेकिन असीम ने ठान लिया था सिर्फ देसी गायों का पालन करेंगे. 

    सिर्फ चार गायों से की शुरुआत
    असीम ने सिर्फ चार गायों से डेयरी फॉर्म की शुरुआत की. खुद चारा डाला, गोबर उठाया, दूध निकाला और लोगों तक पहुंचाया. मार्केट में भरोसा बनाने में वक्त लगा, लेकिन असीम की मेहनत रंग लाई. आज 1100 देसी गाय उनके फार्म में हैं. इस डेरी की सबसे खास बात यह है कि यदि गाय दूध देना बंद भी कर दे, तब भी वो कारोबार का हिस्सा बनी रहती हैं. असीम बताते हैं कि हम लोग 131 प्रोडक्ट्स बनाते हैं. तीन वर्टिकल है. एक वर्टिकल है देसी गाय का दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे खोया, घी, मक्खन, ऑन ऑर्डर आपने लड्डू मंगवा लिए, वो हो गया. 

    कर रहे इतने प्रोडक्ट्स का उत्पादन 
    दूसरा है पंचगव्य मेडिसिन्स, जो पंचगव्य आयुर्वेद का भाग है. इसमें जो गाय की पांच चीजें होती हैं दूध, छाछ, घी, गोमूत्र गोबर इनका इस्तेमाल किया जाता है. तीसरा हमारे पास जो वर्टिकल है, वो है सर्टिफाइड ऑर्गॅनिक फार्मिंग (जैविक कृषि). गोशाला में गायों की देखभाल के लिए ऑर्गेनिक चारे का भी उत्पादन होता है. कुल मिलाकर दो एकड़ की जमीन पर 131 अलग-अलग प्रोडक्ट्स का उत्पादन होता है. असीम बताते हैं कि सर्टिफाइड ऑर्गॅनिक फार्मिंग के द्वारा गो आधारित कृषि करते हैं.

    असीम रावत का डेरी फार्म अब एक बड़ा ब्रांड बन चुका है. आज उनके फार्म में करीब 110 लोग काम करते हैं. उन्होंने ये भी साबित कर दिया कि अगर नियत साफ हो और मेहनत पूरी हो तो खेती और पशुपालन भी करोड़ों का कारोबार बन सकता है. कुछ दिन पहले आपने प्रधानमंत्री जी की एक तस्वीर देखी होगी. छोटी-छोटी गायों के साथ, उसी वक्त यह चर्चा उठी थी, ये देसी नस्ल की गाय दिखने में तो अच्छी है, लेकिन इनके साथ कारोबार नहीं किया जा सकता. असीम रावत की सफलता कहानी देखने के बाद आप यह समझ सकते हैं कि यदि इरादा मजबूत हो तो कोई भी काम मुमकिन है. यह कहानी सिर्फ एक डेयरी फार्म की नहीं है. एक सोच की है.

    (अभिषेक सिंह की रिपोर्ट)

    MORE NEWS

    Read more!