20 साल की शुभावरी ने 15 एकड़ में उगाए 7 खास वैरायटी के ऑर्गेनिक आम, विदेशों तक होती है सप्लाई

20 साल की शुभावरी ने 15 एकड़ में उगाए 7 खास वैरायटी के ऑर्गेनिक आम, विदेशों तक होती है सप्लाई

सहारनपुर की शुभावरी अभी महज 20 साल की हैं, लेकिन उन्होंने खेती में बड़ा नाम किया है. उन्होंने 15 एकड़ में आम की खेती की है और आम की सप्लाई विदेशों तक जा रही है. उनकी खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक है, इसलिए सेहत पर बुरा असर नहीं होता.

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राहुल कुमार
  • Saharanpur,
  • Jun 18, 2025,
  • Updated Jun 18, 2025, 3:36 PM IST

जहां एक ओर आज की युवा पीढ़ी खेती से दूरी बना रही है, वहीं सहारनपुर की 20 वर्षीय शुभावरी चौहान ने ऑर्गेनिक खेती को न सिर्फ अपनाया, बल्कि आम की खेती को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया. शुभावरी महज 9 साल की उम्र से अपने पिता संजय चौहान के साथ खेती कर रही हैं. आज उनके खेतों में उगने वाले आम दिल्ली से लेकर पेरिस, जर्मनी और दुबई तक अपनी मिठास और क्वालिटी के लिए जाने जाते हैं.

15 एकड़ में उगाए 7 खास वैरायटी के ऑर्गेनिक आम

शुभावरी के पास 15 एकड़ में फैला आम का बाग है, जिसमें उन्होंने आम्रपाली, मल्लिका, लंगड़ा, चौसा, दशहरी, गुलाब जामुन और जापान की मशहूर मियाजाकी वैरायटी के आम लगाए हैं. ये सभी आम पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीके से उगाए जाते हैं. कीटनाशकों की जगह वे गोमूत्र, गोबर, नीम और तंबाकू से बने प्राकृतिक मिश्रण का इस्तेमाल करती हैं.

आम पकने से पहले मिलता है ‘फ्रूट कवर’

शुभावरी बताती हैं कि जैसे ही आम में वृद्धि शुरू होती है, उसे एक विशेष फ्रूट कवर से ढक दिया जाता है. यह कवर फल को सीधी धूप, बारिश और कीड़ों से बचाता है, जिससे आम की क्वालिटी बनी रहती है और बाजार में इन्हें बेहतर दाम मिलते हैं, यहां तक की बारिश के मौसम में भी ये आम नहीं टूटते.

रासायनिक खादों का नहीं करतीं प्रयोग

शुभावरी ने बताया कि उनके पास कुल 40 एकड़ जमीन है, जिसमें से 15 एकड़ में आम की बागवानी की गई है. वह रासायनिक खादों या कृत्रिम पकाने के तरीकों का प्रयोग नहीं करतीं, जिससे उनके आम पूरी तरह प्राकृतिक रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनके ऑर्गेनिक आम में प्राकृतिक मिठास और खुशबू होती है, जिसे खाकर लोग कहते हैं कि ऐसा स्वाद उन्होंने पहले कभी नहीं चखा.

उनका मानना है कि ऑर्गेनिक खेती न सिर्फ जमीन की सेहत को बेहतर बनाती है, बल्कि इंसानों की सेहत के लिए भी लाभकारी होती है. वे जमीन की उर्वरता बढ़ाने के लिए हरी खाद और जीवामृत का प्रयोग करती हैं. शुभावरी का मानना है कि आज के समय में अगर हम ऑर्गेनिक खेती को अपनाएं, तो किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत हो सकता है और उपभोक्ता भी स्वस्थ रह सकता है. उनका यह प्रयास न सिर्फ एक मिसाल है, बल्कि देश की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी है.

सीधी बिक्री खेत से ग्राहकों तक

शुभावरी अपने आमों को किसी मंडी में नहीं भेजतीं, बल्कि kheti-badi.com और Kheto Se App जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. उनके आम की कीमत 250 से 400 प्रति किलो तक होती है. कभी-कभी तो ऑर्डर की डिमांड इतनी ज्यादा होती है कि स्टॉक उसी दिन खत्म हो जाता है और अगले ही दिन नए ऑर्डर आ जाते हैं.

युवा पीढ़ी के लिए बन गई मिसाल

शुभावरी की मेहनत और नवाचार के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्मानित किया गया है. वे वर्तमान में मुन्नालाल डिग्री कॉलेज से पढ़ाई भी कर रही हैं. शुभावरी मानती हैं कि ऑर्गेनिक खेती न केवल जमीन की उर्वरता को बढ़ाती है, बल्कि इंसानों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है.

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