यूपी में मथुरा का ब्रज क्षेत्र अपने अनूठे देसी अंदाज वाली होली के लिए मशहूर है. इस साल मथुरा की होली में एक नई खासियत जुड़ने जा रही है. यह खास बात है मथुरा जेल में बंद कैदियों द्वारा होली के लिए हर्बल गुलाल बनाने की पहल करना. होली की सुगबुगाहट शुरू होते ही इस जेल के कैदी पूरी तरह से प्राकृतिक पदार्थों से गुलाल बनाने में जुट गए हैं. कैदी अरारोट में सब्जियों को मिलाकर ईको फ्रेंडली हर्बल गुलाल बना रहे हैं. जेल प्रशासन ने इनके बनाए गुलाल की उचित दाम पर बिक्री कराने का इंतजाम भी कर दिया है.
विश्व प्रसिद्ध ब्रज के रंगोत्सव में इस साल मथुरा जेल के कैदियों द्वारा बनाया गया हर्बल गुलाल उड़ेगा. मथुरा के जिला कारागार में बंद 6 कैदियों ने होली के लिए हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया है. जेल प्रशासन का दावा है कि यह गुलाल पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होने के कारण त्वचा के लिए नुकसानदायक नहीं है.
जेल में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यूपी की योगी सरकार द्वारा कारागारों में शुरू किए गए कौशल विकास मिशन के तहत इन कैदियों ने होली पर हर्बल रंग बनाने की पहल की है.
इन कैदियों ने ब्रज की होली को खास बनाने के लिए खास विधि से यह गुलाल बनाया है. इस विधि के तहत अरारोट में सब्जियों को मिलाकर हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए अरारोट में पालक को पीसकर उसमें से हरा रंग निकाल कर गुलाल तैयार किया जा रहा है. इसी तरह मेथी को पीसकर हल्का हरा रंग, चुकंदर को पीसकर लाल रंग, हल्दी पाउडर का प्रयोग कर पीला गुलाल बनाया गया है. गुलाल को भांति भांति की खुशबू से सराबोर करने के लिए इसमें इत्र मिलाया जाता है.
मथुरा के जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि हर साल होली पर जेल में कई कुंतल गुलाल की खपत हो जाती है. जेल में बंद कैदी सोनू, सनी, रिंकू, अशरफ, विजय और हरेंद्र सिंह पिछले कई दिनों से हर्बल गुलाल बना रहे हैं. गौरतलब है कि ब्रज क्षेत्र में होली 40 दिनों तक खेली जाती है. यहां बसंत पंचमी से गुलाल उड़ना शुरू होता है. इसमें होली से पहले ब्रज में आयोजित होने वाली लड्डू मार और बरसाने में लट्ठमार होली खासी मशहूर है. इसके मद्देनजर होली पर ब्रज क्षेत्र में हर साल हजारों कुंतल गुलाल उड़ाया जाता है.
सिंह ने बताया कि जिला जेल में बन रहा गुलाल, बिक्री हेतु आम लोगों तक पहुंचाने के लिए जेल प्रशासन ने इंतजाम किए हैं. जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में कैदियों द्वारा बनाए गए गुलाल पर करीब 180 रुपए प्रति किग्रा की लागत आई है. इस गुलाल को 200 रुपये प्रति किग्रा की दर से 100-100 ग्राम के पैकेट बनाकर जेल के मुख्य द्वार पर एक स्टॉल के माध्यम से बेचा जा रहा है. इससे कारागार में बंद कैदियों की कमाई भी हो रही है.
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