पंजाब देश का प्रमुख उत्पादक राज्य है. गेहूं खरीद के सरकारी पूल में भी पंजाब की बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन, इस बार पंजाब में गेहूं की सरकारी खरीद पर संकट मंडराया हुआ है. पहले बेमौसम बारिश ने पंजाब के बड़े हिस्से में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाया था,इस वजह से सरकारी खरीद में देरी हुई थी. अब मजदूरों की हड़ताल के ऐलान के बाद गेहूं की सरकारी खरीद पर संकट मंडराने के आसार हैं. असल में पंजाब की मंडियों में काम करने वाले मजदूरों ने सोमवार से हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था. अब मजदूरों की हड़ताल की वजह से किसानों को मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
पंजाब के मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र धूरी की अनाज मंडी से मजदूरों ने हड़ताल का ऐलान किया है. इसका मतलब साफ है कि अगर मंडियों में किसानों की गेहूं की फसल आएगी तो ना तो उसकी लिफ्टिंग होगी ना ही किसानों की ट्रॉली में भरी हुई गेहूं मंडी में जाएंगी और ना ही बोरियों में भरी जाएगी. मजदूरों की मांग है कि सरकार की ओर से मजदूरों के साथ वादा किया गया था कि उनकी मजदूरी में 25 फीसदी का इजाफा किया जाएगा, जो कि नहीं किया गया बल्कि उसके एवज में सिर्फ 12 पैसों की बढ़ोत्तरी की गई है.
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मजदूरों का कहना है कि दूसरे राज्यों से जो मजदूर काम करने के लिए आते हैं, उनका 4000 रुपये का खर्च होता है और उनको 3000 रुपये की मजदूरी मिलती है. ऐसे में काम करना बड़ा मुश्किल होता है. पंजाब मंडी यूनियन के अध्यक्ष सनी ने बताया कि आज हम पंजाब के मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से यह ऐलान कर रहे हैं कि कल से हम पंजाब की मंडियों में काम नहीं करेंगे क्योंकि हमारी मजदूरी में इजाफा नहीं किया गया है क्योंकि वह मजदूरों के भी मुख्यमंत्री हैं और बड़े लोगों के भी उनको हमारी और देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र हमारी इसलिए चुना क्योंकि जहां से आवाज उठानी जरूरी है.
धूरी आढ़ती यूनियन अध्यक्ष जगतार सिंह का कहना है कि मजदूर हड़ताल पर जा रहे हैं और मंडियों में गेहूं की फसल की आवक बढ़ रही है. इसका बुरा असर पड़ेगा, लेकिन सच ये है कि मजदूरों को बेहतर मजदूरी मिलनी चाहिए. उन्होंने बताया कि बोरियों में भरी गेहूं को ट्रक को में लोड करने के लिए सरकार सिर्फ 1.76 पैसे प्रति बोरी देती है, जबकि हम अपनी जेब से बाकी पैसे देते हैं क्योंकि मजदूर ट्रकों में गेहूं को लोड करने के लिए 3.50 पैसे प्रति बोरी से ज्यादा चार्ज करते हैं. उन्हाेंने कहा कि सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इनकी मांगों की ओर ध्यान दें और मंडियों में गेहूं की खरीद का काम मजदूरों की हड़ताल के चलते ना रुके. उन्होंने आगे कहा कि अगर हम प्राइवेट लेबर को लेकर आते हैं तो वह सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम के 5:00 बजे तक 700 रुपये चार्ज करते हैं, जबकि मंडी के मजदूरों को महज ढाई सौ रुपया ही मिलता है.
मजदूरों की हड़ताल किसानों पर भारी पड़ सकती है. असल में पंजाब में मौसम के फिर खराब होने की संभावनाएं हैं. तो वहीं किसानों की गेहूं की फसल मंडियों में है. अगर ऐसे में मजदूर काम छोड़ देंगे तो पहले ही बेमौस भी बरसात के चलते हुए नुकसान की भरपाई किसान कर रहा है तो अब उनकी फसल मंडियों में भी बरसात के चलते खराब होने के आसार हैं.
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