मौसम की मार ने अब लाल मिर्ची को और ‘तीखा’ बना दिया है. यूं तो भोजन को मसालेदार बनाने या सब्जी के जायके को बढ़ाने के लिए लाल मिर्ची का तड़का लगाया जाता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से लाल मिर्ची का भाव जेब में आग लगा रहा है. कुछ जगहों पर लाल मिर्च का भाव कुछ सूखे मेवों से भी ज्यादा हो गया है. ऐसे में मौजूदा वक्त में एक स्वादिष्ट करी बनाना शायद उतना ही महंगा हो गया है जितना कि सूखे मेवों का हलवा बनाना! एक्सपर्ट के अनुसार, हाल ही में हुई बेमौसम बारिश ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसके परिणामस्वरूप कीमतें आसमान छू रही हैं.
बता दें कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र भारत के प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं. वहीं, घरेलू और निर्यात बाजारों में मांग अधिक है, जिससे सप्लाई में बाधा आ रही है. ऐसे में आइए इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं-
दरअसल, आपके भोजन की थाली में रंग और स्वाद जोड़ने वाली कश्मीरी लाल मिर्च की कीमत इनदिनों 850 रुपये प्रति किलोग्राम है, जोकि बादाम की कीमत लगभग 750 रुपये किलोग्राम से अधिक है. इसी तरह, जीरा जो एक अन्य व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला है, की कीमत भी खुदरा बाजार में 600 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो किशमिश की कीमत से अधिक है, जिसकी कीमत लगभग 450 रुपये प्रति किलोग्राम है.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी)-उंझा के अध्यक्ष दिनेश पटेल ने कहा, 'इस साल लाल मिर्च और जीरे की कीमतों में तेजी देखी गई है. इस साल जीरे की कीमत बढ़कर 450 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. हमें उम्मीद है कि जीरे की आपूर्ति लगभग 80 लाख बैग की मांग के मुकाबले करीब 50 लाख बैग (प्रत्येक 60 किलो) तक पहुंच जाएगी." वहीं, एग्री एक्सपर्ट के अनुसार, भले ही सीरिया और तुर्की में जीरे की खेती होती हैं, लेकिन इस साल मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण गुणवत्ता प्रभावित हुई है.
इसी तरह, मधुपुरा मसाला बाजार के अनुमान के मुताबिक, कश्मीरी लाल मिर्च की कीमत पिछले साल के 500 रुपये किलो से बढ़कर इस साल 850 रुपये प्रति किलो हो गई है! ऑल इंडिया स्पाइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (एआईएसईएफ) के सचिव हिरेन गांधी ने कहा, 'पहली बार मसालों की कीमतें सूखे मेवे और लाल मिर्च की कीमतों को पार कर गई हैं.
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आशीष गुरु, अध्यक्ष - कृषि समिति, जीसीसीआई, ने कहा, "मसाले की कीमतें स्थिर मांग के मुकाबले कम उत्पादन के कारण तेजी से बढ़ी हैं. हमारा निर्यात बढ़ रहा है, और किसानों को बेहतर कीमत मिल रही है, इसलिए हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में खेती बढ़ेगी. हम एक्सपर्ट्स के साथ एक बैठक करने की योजना बना रहे हैं और राज्य से मसालों की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध करेंगे.”
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