किसानों की आय बढ़ाने के मामले में बागवानी फसलें गेहूं और धान जैसी पारंपरिक फसलों के मुकाबले अच्छी मानी जाती हैं. लेलेकिन, यह फसलें मौसम और बीमारियों के प्रति काफी संवेदनशील होती हैं. बीमारी लगने, असमय बारिश होने, तूफान, सूखा, ओलावृष्टि और लू जैसी आपदाओं से इसकी खेती करने वालों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना की शुरुआत की है. जिसमें सब्जियों, फलों और मसालों को शामिल किया गया है. इसके लिए किसानों को प्रीमियम 750 से 1000 रुपये प्रति एकड़ तक देना है और बीमा 40,000 रुपये एकड़ तक मिलेगा. कोशिश यह है कि प्रतिकूल मौसम व प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई हो.
यह योजना वैकल्पिक है. यानी किसी को इसमें शामिल होने के लिए कोई दबाव नहीं है. स्कीम को पूरे राज्य में लागू किया गया है. जो किसान इसका फायदा उठाना चाहते हैं उन्हें 'मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल' पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. अपनी फसल और क्षेत्र का ब्यौरा देना होगा. मुआवजे की रकम सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर होगी. मुआवजा देने के लिए नुकसान की चार कैटेगरी बढ़ाई गई हैं. शून्य से 25 फीसदी तक के नुकसान पर कोई मुआवजा नहीं मिलेगा.
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दरअसल, हरियाणा एक उभरता हुआ बागवानी उत्पादक राज्य है. यहां के कृषि मंत्री जेपी दलाल के अनुसार इस वक्त राज्य के कुल फसल क्षेत्र के लगभग 7 फीसदी एरिया में बागवानी फसलों की खेती होती है. जिसे 2030 तक बढ़ाकर 15 परसेंट तक ले जाना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए किसानों को बीमा का सुरक्षा कवच देना जरूरी है. बागवानी क्षेत्र को आगे बढ़ाने को लेकर यहां एक बड़ा काम हो रहा है. सोनीपत के गन्नौर में 500 एकड़ में अंतरराष्ट्रीय बागवानी मंडी बनाई जा रही है. जिसकी क्षमता सालाना 20 लाख मीट्रिक टन फल व सब्जियों की होगी.
इस योजना के तहत किसानों को फल और सब्जियों की खेती के लिए अलग-अलग रेट पर प्रीमियम देना होगा और अलग-अलग रेट पर मुआवजा मिलेगा. सब्जियों और मसालों के लिए 750 रुपये प्रति एकड़ व फलों के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रीमियम देना होगा. सब्जियों एवं मसालों के लिए न्यूनतम मुआवजा राशि प्रति एकड़ 15,000 रुपये और अधिकतम 30,000 होगी. जबकि फलों के लिए न्यूनतम मुआवजा रकम 20,000 और अधिकतम 40,000 रुपये तय है.
ओलावृष्टि, अधिक तापमान, पाला, बाढ़, बादल फटना, नहर या ड्रेन का टूटना, जलभराव, आंधी-तूफान और आग से होने वाले नुकसान को योजना के तहत कवर किया जाएगा. योजना के तहत 23 सब्जी फसलें, 21 फल और दो मसाला फसलें शामिल हैं.
सब्जी फसलों में आलू, प्याज, टमाटर, अरबी, भिंडी, करेला, लौकी, बैंगन, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, गाजर, गोभी, मिर्च, खीरा, ककड़ी, खरबूज, तरबूज, मटर, कद्दू, मूली, तोरइ, जुकिनी और टिंडा कवर हैं.
फलों में अनार, स्ट्राबेरी, अंगूर, अमरूद, जामुन, ड्रैगन फ्रूट, आंवला, बेर, चीकू, खजूर, अंजीर, किन्नू, लैमन, लीची, मालटा, संतरा, आम, नींबू, आडू, नाशपाती और आलू बुखारा को शामिल किया गया है. जबकि मसालों में हल्दी और लहसुन कवर हैं.
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