देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत कुल 22 फसलें नोटिफाइड हैं. नोटिफाइड फसलों की ही सरकारी खरीद होती है. जिसमें 14 खरीफ, 6 रबी और दो अन्य फसलें शामिल हैं. लेकिन कोई भी राज्य इन सभी फसलों की खरीद नहीं करता है. जैसे राजस्थान का ही देखिए यह बाजरा का प्रमुख उत्पादक तो है लेकिन कई साल से यहां पर इसकी एमएसपी पर खरीद नहीं हो रही है. इसी तरह बिहार में मक्का का खूब उत्पादन होता है लेकिन सरकार वहां इसकी खरीद एमएसपी पर नहीं कर रही है. ज्यादातर राज्यों में धान, गेहूं, सरसों, सोयाबीन और तिलहन फसलों की एमएसपी पर खरीद होती है. लेकिन हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि उसके यहां 14 फसलें एमएसपी पर खरीदी जाती हैं, जो देश में सबसे अधिक है.
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. एमएसपी पर 14 फसलों की खरीद करने वाला हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है. इन फसलों में गेहूं, धान, सरसों, जौ, चना, मक्का, बाजरा, कपास, मूंग, मूंगफली, सूरजमुखी, उड़द, तिल और अरहर शामिल हैं. गन्ना भी नोटिफाइड फसल है, लेकिन उसकी खरीद एमएसपी की बजाय उचित व लाभकारी मूल्य (Fair Remunerative Price) यानी एफआरपी और स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसएपी) के आधार पर होती है. एफआरपी को केंद्र सरकार तय करती है.
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हरियाणा सरकार ने भले ही 14 फसलों की एमएसपी पर खरीद का दावा किया है, लेकिन यह भी सच है कि इसी साल जून में सूरजमुखी की एमएसपी पर खरीद करने की मांग कर रहे किसानों पर यहां कुरुक्षेत्र में लाठीचार्ज हुआ था. सरकार ने सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना में शामिल कर दिया, जिससे किसानों को एमएसपी जितनी रकम नहीं मिली. उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ. हालांकि, धान और गेहूं की खरीद के मामले में यह काफी आगे है. देश के जिन दो प्रदेशों में एमएसपी का सबसे ज्यादा पैसा पहुंचता है उनमें पहले नंबर पर पंजाब और दूसरे पर हरियाणा है.
हरियाणा में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 1118 ग्राम है, जो देश में दूसरे स्थान पर है. जबकि राष्ट्रीय औसत 406 ग्राम है. प्रदेश में करीब 16 लाख परिवारों के पास 36 लाख दुधारु पशु हैं. यहां पशुपालन को प्रमोट करने के लिए सरकार पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना भी चला रही है. जिसके तहत बहुत सस्ता लोन मिलता है. सरकार द्वारा पानीपत रिफाइनरी में पराली, भूसे, गन्ने की खोई व मक्के के भूसे से इथेनॉल तैयार किया जाएगा, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी.
हरियाणा में कुल 7287 गांव हैं. इनमें 3041 पानी की कमी से जूझ रहे हैं. इसमें से 1948 गांव तो ऐसे हैं जो गंभीर जल संकट को झेल रहे हैं. इसलिए राज्य सरकार कम पानी वाली फसलों को प्रमोट कर रही है. धान की खेती छोड़ने वाली फसलों की खेती करने वालों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन रकम दी जा रही है. धान की सीधी बिजाई करने वाली मशीन खरीदने पर 40 फीसदी की सब्सिडी देने का एलान किया गया है.
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