कृषि क्षेत्र के लिए मोदी सरकार की सबसे बड़ी योजना पीएम किसान स्कीम (PM-Kisan) में अब सिर्फ 8.5 करोड़ लाभार्थी ही रह गए हैं. जबकि इसके तहत सभी 14.5 करोड़ किसानों को मदद देने का प्लान था. ऐसे में इसका बजट 75 हजार करोड़ से घटकर अब महज 60 हजार करोड़ रुपये रह गया है. लाभार्थियों की संख्या 11.5 करोड़ तक पहुंची थी, लेकिन पात्र न होने की वजह से एक झटके में ही तीन करोड़ लोग कम हो गए. हालांकि, केंद्र सरकार अब भी इस कोशिश में जुटी हुई है कि किसी तरह से पात्र किसानों की संख्या बढ़ाई जाए.
इसीलिए योजना में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कभी बंद नहीं की गई. जबकि अब तक 12 किस्त में किसानों को डायरेक्ट उनके बैंक अकाउंट में 2 लाख 20 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं. यही नहीं किसी भी किसान को खुद रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई.
यह तो तय है कि सरकार योजना के लिए अपात्र किसानों को किसी भी सूरत में पैसा नहीं देगी. लेकिन, वो चाहती है कि पात्र किसानों की संख्या बढ़ती रहे. इसके प्रयास में वो जुटी हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि जिसका लैंड रिकॉर्ड, आधार वेरिफिकेशन और ई-केवाईसी पूरा है उसको पैसा मिलेगा. योजना के लिए मुख्य शर्त कृषि योग्य जमीन का होना है. इसके अलावा आयकरदाता, पेंशनर और संवैधानिक पद पर न होना है.
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• किसानों को पीएम-किसान पोर्टल, अर्थात् किसान कॉर्नर में एक विशेष सुविधा प्रदान की गई है. इस सुविधा के माध्यम से किसान अपना खुद रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.
• दिनांक 24 फरवरी 2020 को एक विशेष मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है. यह ऐप किसान कॉर्नर के माध्यम से उपलब्ध सुविधाएं प्रदान करता है.
• सामान्य सेवा केंद्रों को पीएम-किसान योजना के लिए रजिस्ट्रेशन में किसानों की सहायता करने, उनके डेटा को अपडेट करने और उनके भुगतान की प्रक्रिया की स्थिति का पता लगाने के लिए अधिकृत किया गया है.
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• राज्य सरकारों ने ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर योजना के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं. किसान इनकी मदद ले सकते हैं.
• रजिस्टर्ड लाभार्थियों के डेटा का जल्दी वेरिफिकेशन करने के लिए राज्यों ने प्रचार और जागरुकता शिविरों का आयोजन किया है.
• राज्यों को सभी पात्र किसान परिवारों का नामांकन सुनिश्चित करके योजना की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है.