केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि भारत के बॉर्डर वाले गांवों में रहने वाले वे किसान, जिनके पास जमीन के मालिकाना से जुड़े दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भी अब पीएम-किसान योजना का लाभ मिल सकेगा, बशर्ते राज्य सरकार उनकी पहचान साबित कर दे.
कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि ऐसी स्थिति में योजना की एक किस्त तुरंत जारी कर दी जाएगी. यह घोषणा लंबे समय से बॉर्डर इलाके वाले किसानों की एक प्रमुख मांग रही है.
जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर गए चौहान ने किसानों और श्रमिकों से मुलाकात के दौरान कहा कि मनरेगा के तहत काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 करने पर वे राज्य सरकार से बात करेंगे.
उन्होंने यह भी घोषणा की कि जिन किसानों और ग्रामीणों के घर बाढ़ में तबाह हो गए हैं, उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1,30,000 रुपये की सहायता, शौचालय निर्माण के लिए अलग से राशि और 40,000 रुपये की मनरेगा मजदूरी मिलेगी.
उन्होंने बताया कि अब तक 5,101 घरों के नुकसान की जानकारी मिली है, जिनके लिए वे तुरंत मंजूरी देंगे.
चौहान ने बताया कि मिर्च, धान जैसी फसलें गंभीर रूप से बर्बाद हुई हैं. ऐसे में जिन किसानों ने बीमा कराया है, उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पूरा मुआवजा मिलेगा. इसके साथ ही बागवानी मजदूरों और सेब के बागानों को भी सहायता दिलाने के लिए राज्य सरकार से आग्रह किया गया है.
दिल्ली में कृषि यंत्र निर्माताओं के साथ बैठक के बाद चौहान ने बताया कि 22 सितंबर से ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों पर जीएसटी में कटौती का सीधा लाभ किसानों को मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह फैसला 23,000 रुपये से 63,000 रुपये तक की कीमतों में कमी ला सकता है, जिससे छोटे किसानों के लिए यंत्र खरीदना सस्ता हो जाएगा.
कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHCs) के लिए भी मशीनरी अब सस्ती होगी, जिससे किराये की दरों में गिरावट आएगी.
शिवराज सिंह चौहान की ये घोषणाएं न केवल बॉर्डर इलाकों के किसानों को पीएम-किसान योजना से जोड़ने में सहायक होंगी, बल्कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को भी जल्द राहत देने में महत्वपूर्ण साबित होंगी. इसके अलावा कृषि लागत घटाने के लिए हाल में लिया गया GST फैसला छोटे और सीमांत किसानों के लिए राहत की सांस बन सकता है.