भारत में सहकारी शिक्षा के सबसे पुराने केंद्र वैमनीकाम के एलुमनाई संगठन के पदाधिकारियों ने कहा है कि देश में 500 कैंपस कोऑपरेटिव बनाए जाएंगे. इसका मकसद युवाओं में सहकार का बीज बोना और कैंपस को आत्मनिर्भर बनाना है. पुणे स्थित एसोसिएशन फ़ॉर एडवांसमेंट ऑफ वैमनीकाम एलुमनाई मूवमेंट (AADVAM) के दूसरे वार्षिक सम्मेलन में संगठन के अध्यक्ष बिनोद आनंद ने कहा कि कैंपस कोऑपरेटिव केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक युवा आंदोलन है. इसके जरिए साझा समृद्धि की भावना फैलेगी और नई पीढ़ी में सहकारिता की क्रांति की शुरुआत होगी.
ऑनलाइन हुए इस सम्मेलन में आनंद ने कहा कि जब आत्मा में स्वराज की आग जलती है और दिल में सहयोग का दीपक रोशन होता है, तब कोई भी ताकत हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. सहकार ही समृद्धि का रास्ता है. अब युवा भी इस रास्ते पर निकल पड़े हैं. वो सहकारिता आंदोलन के जरिए भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे. इस मौके पर कोऑपरेटिव इलेक्शन अथॉरिटी के चेयरमैन डॉ. डीके सिंह भी मौजूद रहे.
डॉ. डीके सिंह ने कहा कि सहकारी चुनावों में पारदर्शिता सिर्फ कानून का विषय नहीं, यह लोकतंत्र की आत्मा है. AADVAM इस बदलाव का मजबूत साथी बन सकता है. इस मौके पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में दिल्ली चैप्टर के चेयरमैन डॉ. राजवीर शर्मा, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के डॉ. केके त्रिपाठी, वैमनीकाम के निदेशक डॉ. सुवा कांत मोहंती और अमरेली जिला सहकारी संघ के अध्यक्ष मनीष शांघानी मौजूद रहे. इन वक्ताओं ने सहकारी नेतृत्व को मजबूत करके औपनिवेशिक मानसिकता से आजादी दिलाने की दिशा में काम करने पर जोर दिया.
संस्था के प्रमुख बिनोद आनंद ने कहा कि यह एलुमनाई संगठन सहकार को राष्ट्रीय एकता, आत्मनिर्भरता और स्वदेशी नेतृत्व से जोड़ने का काम कर रहा है. यह प्रधानमंत्री के पांच प्रण और सहकार के मिशन को आगे बढ़ाएगा. जिनमें राष्ट्रीय एकता, भारतीय विरासत पर गर्व, आत्मनिर्भरता, औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति और नागरिक कर्तव्यों का पालन शामिल है. उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता के पुनर्जागरण की शुरुआत हो चुकी है. इससे किसानों, ग्रामीणों और गरीबों को फायदा होगा. वैमनीकाम का एलुमनाई (AADVAM) सहकारिता पुनर्जागरण की मुहिम को आगे बढ़ाएगा, क्योंकि "सहकार से ही समृद्धि" का सपना साकार होगा.