बिहार सरकार ने राज्य के किसानों और युवाओं को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल की है. सरकार ने राज्य के करीब 14 हजार किसानों और ग्रामीण युवाओं को खेती-किसानी से जुड़ी आधुनिक तकनीकों और बाजार रणनीतियों की जानकारी के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल किसानों को उनकी उपज बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि किसानों की आय को बढ़ाने और रोजगार से जोड़ने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा.
इस पहल को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार ने 86 से अधिक प्रतिष्ठित संस्थानों को शामिल किया है. इनमें केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा (समस्तीपुर), बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) के अलावा अलग-अलग कृषि और उद्यान महाविद्यालय, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और बामेती के साथ सभी 38 आत्मा जिले शामिल हैं. इन केंद्रों में मास्टर ट्रेनरों और कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में किसानों को खेती बाड़ी की अलग-अलग विधाओं के लिए ट्रेंड किया जाएगा.
वैसे तो अब तक बिहार के कई किसान पारंपरिक तरीके से खेती करते आ रहे थे, जिनके पास अनुभव तो था लेकिन तकनीक से जुड़ी जानकारी के प्रमाण-पत्र नहीं थे. उन किसानों को भी अब इस पहल के तहत “Recognition of Prior Learning” (RPL) के माध्यम से ऐसे अनुभवी किसानों की पहचान की जाएगी और उन्हें मूल्यांकन के बाद प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे. इससे उन्हें एक्सपर्ट किसान के रूप में पहचान मिलेगी, जो भविष्य में अलग-अलग योजनाओं में उनकी भागीदारी को आसान बनाएगी.
यह योजना केवल किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को भी कृषि क्षेत्र से जोड़ना है. खासकर राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है. वहीं, प्रशिक्षित युवाओं को मास्टर ट्रेनर के रूप में विभाग और औद्योगिक योजनाओं से जोड़ा जाएगा. इससे उन्हें रोजगार के साथ-साथ अन्य किसानों को प्रशिक्षित करने का भी मौका मिलेगा.
कृषि विभाग के अनुसार, इस योजना में 1020 किसानों को डोमेन ट्रेनिंग और 13,290 किसानों और युवाओं को RPL प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण के अंतर्गत कुछ विषयों को शामिल किया गया है, जिसमें मशरूम उत्पादन, सब्जी और बागवानी तकनीक, औषधीय पौधों की खेती, ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, जैविक खेती जैसी आधुनिक तकनीकें और मार्केटिंग और कृषि उत्पादों के बारे में ट्रेनिंग दिया जाएगा.
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना से खेती से जुड़ी किसानों के पारंपरिक सोच में बदलाव आएगा. वहीं, नई तकनीक और कौशल के माध्यम से किसान अब सिर्फ उत्पादक नहीं, बल्कि स्मार्ट बिजनेस मैन भी बन पाएंगे. इससे न केवल उनकी कमाई में बढ़ोतरी होगी, बल्कि बिहार की कृषि प्रणाली को एक आधुनिक और आत्मनिर्भर मॉडल की ओर ले जाने में आसानी होगी.