हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास और उसमें बैंकों की भूमिका को लेकर बड़ी बात कही है. चंडीगढ़ में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के स्टेट क्रेडिट सेमिनार में दलाल ने कहा कि हमें अब क्रॉप डायवर्सिफिकेशन और प्रोसेसिंग पर जोर देना होगा. इसके लिए बैंक लोन उपलब्ध करवाएं, ताकि किसान आर्थिक दृष्टि से संपन्न हो सकें. उन्होंने कहा कि कुछ निजी बैंक किसानों को जमीन के नाम पर लोन उपलब्ध करवाते हैं, जबकि बैंकों को प्रोजेक्ट पर ऋण देना चाहिए. ऐसा होगा तभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर बनेगी. इसके अलावा अब खेती के साथ-साथ पशुपालन को बढ़ावा देने की जरूरत है. इसके तहत बैंक भेड़, बकरी, गाय, भैंस और मत्स्य पालन के लिए आसानी से लोन उपलब्ध करवाए. क्योंाकि पशुपालन किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्त्रोत है.
दलाल ने कहा कि इसी प्रकार, नाबार्ड को रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के अलावा पॉली हाउस, मशरूम, फूलों की खेती के साथ-साथ स्वयं सहायता समूहों तथा पशु नस्ल सुधार जैसे कार्यक्रमों को भी अपनी योजनाओं में शामिल करने की जरूरत है. हरियाणा में वर्ष 2024-25 के दौरान कृषि, एमएसएमई, शिक्षा, आवास, निर्यात और नवीनीकरण ऊर्जा जैसे प्राथमिकता क्षेत्रों के विकास के लिए नाबार्ड ने 2,27,821 करोड़ रुपये के लोन वितरण की संभावनाओं के साथ ‘स्टेट फोकस पेपर’ तैयार किया है. जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 32.76 प्रतिशत अधिक है. इसमें कृषि क्षेत्र के लिए 1.02 लाख करोड़ रुपये के लोन का अनुमान शामिल है.
इसे भी पढ़ें: पंजाब-हरियाणा के किसानों को मिली ‘एमएसपी’ की मलाई, बाकी के साथ कब खत्म होगा भेदभाव?
जेपी दलाल ने कहा कि स्टेट फोकस पेपर के अनुसार, 31 दिसंबर, 2023 तक हरियाणा की लोन भुगतान में कैश डिपॉजिट की दर 84 प्रतिशत है, जबकि यह दर राष्ट्रीय स्तर पर 60 प्रतिशत निर्धारित है. वर्ष 2023-24 के दौरान हरियाणा में कृषि क्षेत्र ने 8.1 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की है, जो देश में सबसे अधिक में से एक है. देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हरियाणा भौगोलिक दृष्टि से छोटा राज्य होने के बावजूद लगभग 4 प्रतिशत का योगदान देता है.
कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि नाबार्ड बैंकों को निर्देश दे कि वे गांव में रह रहे छोटे व सीमांत किसानों और गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुविधाजनक तरीके से उनकी आवश्यकतानुसार ऋण उपलब्ध करवाएं. उन्होंने नाबार्ड के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अगले वर्ष का फोकस पेपर तैयार करते समय इस बात का भी उल्लेख करें कि ग्रामीण क्षेत्र में कितने उद्यमी तैयार किए गए हैं.
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निरंतर जोर दिया जा रहा है और पैक्स को भी सुदृढ़ किया जा रहा है. अब पैक्स में केवल कृषि उर्वरक ही नहीं, बल्कि व्यापक बहुआयामी गतिविधियां भी संचालित की जाएंगी. उन्होंने आशा व्यक्त की कि वर्ष 2047 में विकसित भारत से पहले विकसित हरियाणा धरातल पर नजर आएगा. उन्होंने राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी के संयोजक से आग्रह किया कि वे जिला स्तर पर विशेष शिविर लगाकर छोटे लोन लेने वाले लोगों की शिकायतों का निवारण करें, ताकि उनकी बैंकों के प्रति भाव बदले.
कार्यक्रम को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक डॉ. राजेश प्रसाद और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उप महाप्रबंधक सविता वर्मा ने भी संबोधित किया. दोनों ने स्टेट फोकस पेपर- 2024-25 के मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डाला. जेपी दलाल ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए परंपरागत कृषि की बजाय फूलों की खेती, मत्स्य पालन व फसल विविधीकरण की दिशा में बढ़ना होगा और इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग देने की जरूरत है. किसानों के उत्पाद को कच्चे माल के रूप में न बेचकर ऐसी नीतियां बनानी होंगी जिससे प्रोसेसिंग यूनिट लगे, वैल्यू एडिशन हो, ताकि उत्पाद अच्छी कीमतों पर बिकें.
इसे भी पढ़ें: Crop Production: गेहूं-चावल के उत्पादन का टूटा रिकॉर्ड, जानिए सरसों और अरहर का क्या है हाल