केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण नीतिगत फैसला लेते हुए राज्यांश यानी स्टेट प्रीमियम लंबित होने की वजह से किसानों को फसल बीमा क्लेम मिलने में होने वाली कठिनाइयों से राहत प्रदान कर दी है. इसके साथ ही 8 राज्यों के 5.60 लाख लाभार्थी किसानों को अपने स्तर पर 258 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी कर दिया है. इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा व आंध्र प्रदेश के किसान शामिल हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसानों को और अधिक सहूलियत देते हुए सटीक उपज अनुमान एवं रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ठीक करने के लिए कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को तीन महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इसमें येस्टेक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली), विंड्स (मौसम सूचना डेटा सूचना प्रणाली) और एआईडीई (मध्यस्थ नामांकन के लिए ऐप) किसानों को समर्पित किए गए हैं. ताकि इस योजना को लेकर किसानों का विश्वास और बढ़े.
दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू मौजूद रहे.विंड्स (WINDS) यानी वेदर इंफार्मेशन नेटवर्क और डाटा सिस्टम के जरिए फसलों पर जोखिम की सटीक जानकारी मिलेगी. इसके तहत फसल बीमा में कवर राज्यों के हर ब्लॉक में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) और हर इंश्योरेंस यूनिट यानी हर ग्राम पंचायत स्तर पर ऑटोमेटिक रेन गेज (ARG) लगाए जाएंगे. तोमर ने कहा कि कृषि का जीवन व देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है.
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कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि भारत सरकार कृषि विकास के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए बजट में कमी नहीं आती है. लेकिन कभी राज्य सरकारों के हिस्से का प्रीमियम जमा नहीं होता है तो ऐसे में भी किसानों को मुआवजा मिलने में दिक्कत नहीं आएगी. इसलिए अपने प्रीमियम के जरिए ही किसानों को मुआवजा देने का केंद्र ने फैसला लिया है. फिर भले ही तब तक राज्य सरकार द्वारा प्रीमियम जमा हो या नहीं. कृषि के बजट को देखें तो 2013 की तुलना में लगभग पांच गुना की वृद्धि की गई. हम खाद्यान्न, बागवानी, दुग्ध उत्पादन में दुनिया में अच्छी अवस्था में हैं. इसमें तकनीक एवं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान का भी महत्वपूर्ण योगदान है.
तोमर ने कहा कि आज तकनीक का उपयोग करके हर किसान तक हर योजना की पहुंच हो सकती है. आम किसान लाभ ले सकते हैं, इसलिए कृषि मंत्रालय ने बहुतेरे काम करते हुए इंश्योरेंस मॉड्यूल भी बनाए. राज्य सरकारों को जोड़ा गया. फसल बीमा योजना को और कारगर बनाने की दृष्टि से मैनुअल, पोर्टल व ऐप आज लांच किया गया है. हम सोचते थे कि मौसम की सही सूचना क्यों नहीं आ पाती है, अगर सूचना मिल भी जाए तो नीचे तक पहुंचाने का साधन नहीं होता था, इसलिए कोशिश की गई कि तकनीक का प्रयोग करके इसकी पहुंच गांव-गांव तक बनाई जाए. हर गांव में रेन वॉच टॉवर हो, विकासखंड स्तर पर वेदर स्टेशन आ सकें, ताकि मौसम की जानकारी विभाग व सरकार को मिल सके. जलवायु परिवर्तन के दौर में यह जरूरी भी है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि किसानों के जीवन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की इन सुविधाओं से बहुत बड़ा बदलाव आएगा. हरित क्रांति के बाद अब पहली बार कृषि क्षेत्र में अद्भुत काम हुआ है और हम एक लीडिंग नेशन के रूप में उभरे हैं. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में किए जा रहे परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण है. जलवायु परिवर्तन के दौर में इन सबकी महत्ता और भी ज्यादा है. भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर हमें साइंटिफिक मैकेनिज्म तैयार करना होगा.
उन्होंने उम्मीद जताई कि कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर उनका मंत्रालय जलवायु परिवर्तन से उपजने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए बेहतर कार्य कर सकेगा. विंड्स के माध्यम से किसानों के लिए मौसम संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी व आंकड़े उपलब्ध हो पाएंगे. इससे योजना के सभी हितधारकों को लाभ होगा. विशेष तौर पर किसान निर्णय लेने में सक्षम होंगे. मौसम केंद्रों का यह व्यापक नेटवर्क मौसम के पैटर्न की सटीक निगरानी करने, प्रभावी योजना बनाने, जोखिम मूल्यांकन व मौसम संबंधी चुनौतियों का समय पर जवाब देने में सक्षम बनाएगा.
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