
जम्मू-कश्मीर में कृषि क्षेत्र को नई रफ्तार देने के लिए लागू की गई होलिस्टिक एग्रीकल्चर डेवलपमेंट प्रोग्राम यानी HADP ने जमीनी स्तर पर बड़ा असर दिखाना शुरू कर दिया है. कार्यक्रम के तहत अब तक 91,600 से अधिक कृषि इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं, जिनमें से 75,000 से ज्यादा इकाइयों की निरंतर निगरानी आउटपुट ट्रैकिंग ऐप के जरिये की जा रही है. प्रशासन ने परियोजनाओं को वास्तविक रूप से चलाने पर गहरी नजर बनाए रखी है. मार्च 2023 में शुरू किए गए इस फ्लैगशिप कार्यक्रम में कुल 29 विशेष परियोजनाएं शामिल हैं, जिनका उद्देश्य बीज गुणवत्ता सुधार, उच्च मूल्य वाली फसलों का विस्तार, कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना और बाजार से सीधा जुड़ाव मजबूत करना है.
HADP के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार के अनुसार, इस पहल ने अब तक 1.34 करोड़ से अधिक मानव-दिवस का रोजगार पैदा किए हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिली है. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम ने आर्थिक दृष्टि से भी मजबूत प्रदर्शन किया है और अब तक 298 करोड़ रुपये का कुल राजस्व और 126 करोड़ रुपये का लाभ विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत इकाई धारकों को मिला है.
मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने सोमवार को आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में इन 29 परियोजनाओं की गतिविधि-वार एवं परिणाम-आधारित समीक्षा की. बैठक में अधिकारियों ने बताया कि अगस्त में हुई पिछली समीक्षा के बाद से 14,000 नई इकाइयां जोड़ी गई हैं और अब लगभग 82 प्रतिशत इकाइयां पूरी तरह क्रियाशील और ट्रैक की जा रही हैं. मुख्य सचिव ने इस प्रगति को सकारात्मक बताते हुए जोर दिया कि सभी लक्षित इकाइयों की स्थापना समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित की जाए और प्रत्येक इकाई की उत्पादकता, स्थायित्व और प्रदर्शन पर लगातार नजर रखी जाए.
बैठक में किसान क्षमता निर्माण के क्षेत्र में ‘दक्ष किसान पोर्टल’ की अहम भूमिका भी रेखांकित की गई. इस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अब तक 3.5 लाख से अधिक किसान पंजीकृत हो चुके हैं, जिनमें 2.6 लाख किसान विभिन्न कौशल आधारित पाठ्यक्रमों से जुड़ गए हैं. अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 2.1 लाख किसान आधुनिक कृषि तकनीकों को सीखकर उत्पादन और आय बढ़ाने में सक्षम हो चुके हैं.
सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में विदेशी किस्मों की खेती पर जोर दिया गया है, जिसके तहत अब तक 7,976 इकाइयां स्थापित हुई हैं और इससे 1.95 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त वार्षिक उत्पादन की क्षमता बनी है. डेयरी क्षेत्र में भी राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है और दूध उत्पादन 39 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है. मटन उत्पादन भी 380 लाख किलोग्राम के स्तर पर पहुंचकर आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम माना जा रहा है.
मत्स्य क्षेत्र में ट्राउट फिश फार्मिंग का विस्तार तेजी से हो रहा है. अब तक 635 रेसवे बनाए जा चुके हैं, जिनसे 2,650 मीट्रिक टन ट्राउट उत्पादन हासिल हुआ है. वहीं, 20,800 आधुनिक कृषि मशीनरी इकाइयों के वितरण से खेतों में मजदूरी निर्भरता कम हुई है और कार्यक्षमता में उल्लेखनीय सुधार आया है.
इसके अलावा, केसर और काला जीरा जैसे उच्च मूल्य के उत्पादों के विस्तार से जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में 207.8 मीट्रिक टन गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री का उत्पादन संभव हुआ है. प्रशासन का मानना है कि यह उत्पादन भविष्य में किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल ने कार्यक्रम को नई दिशा दी है. ओटीए और किसान साथी पोर्टल के माध्यम से वास्तविक समय में मॉनिटरिंग, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई है. मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वरिष्ठ अधिकारियों की फील्ड विजिट को नियमित किया जाए, ताकि जमीनी फीडबैक के आधार पर कार्यक्रम को और प्रभावी बनाया जा सके.(पीटीआई)