Crop Loss: मुआवजे में देरी से किसान नाराज बोले- हमारा नुकसान कोई नहीं देख रहा

Crop Loss: मुआवजे में देरी से किसान नाराज बोले- हमारा नुकसान कोई नहीं देख रहा

अगस्त की भारी बारिश से कंधवाला अमरकोट गांव के किसानों की फसलें बुरी तरह नष्ट हो गईं, लेकिन मुआवज़ा न मिलने से वे नाराज़ हैं. किसानों का आरोप है कि पहली सर्वे सही नहीं हुई, जिससे कई प्रभावित किसान राहत से वंचित रह गए. अब वे निष्पक्ष और नई सर्वे की मांग कर रहे हैं.

गलत सर्वे ने छीना मुआवज़ा!गलत सर्वे ने छीना मुआवज़ा!
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Nov 25, 2025,
  • Updated Nov 25, 2025, 11:12 AM IST

कंधवाला अमरकोट गांव के किसानों में बहुत गुस्सा है. अगस्त में भारी बारिश से उनकी फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं, जिससे उनके खेत पानी में डूब गए. पंजाब, जो कभी देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को खाना खिलाता था, इस साल खुद बाढ़ की चपेट में आ गया. वहां के किसानों को भारी बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. किसानों का आरोप है कि पहला सर्वे ठीक से नहीं किया गया और वे दूसरे स्पेशल सर्वे की मांग कर रहे हैं.

मुआवजे में देरी ने बढ़ाई नाराजगी

किसानों का कहना है कि सरकार ने उन्हें 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे का आश्वासन दिया था, लेकिन अबतक पहला सर्वे बहुत गलत तरीके से किया गया. उन्होंने शिकायत की है कि कई ऐसे किसानों को भी मुआवजा मिलने की तैयारी है, जिन्हें वास्तव में नुकसान नहीं हुआ- इससे उन लोगों का नुकसान अधिक गहरा हो गया है, जिन्हें सच में फसलें बर्बाद हुई थीं.

किसानों ने की निष्पक्ष निरीक्षण की मांग

किसानों ने SDM (उपजिलाधिकारी) के कार्यालय का घेराव किया और एक ज्ञापन (मेमोरेंडम) सौंपा. उन्होंने मांग की है कि एक नई, स्वतंत्र और विशेष सर्वेक्षण किया जाए, ताकि नुकसान की असली स्थिति सामने आए और सही मुआवजा दिया जा सके. उनका तर्क यह है कि पहली सर्वेक्षण में स्थानीय अधिकारियों की पक्षपात हो सकती है, जिससे सही आंकड़े सामने नहीं आए.

अन्य राज्यों में भी फसल नुकसान और मुआवजे का मुद्दा

यह मामला सिर्फ कंधवाला अमरकोट तक सीमित नहीं है. देश के कई हिस्सों में किसान अनियमित या अत्यधिक बारिश के कारण फसल हानि की समस्या से जूझ रहे हैं. हरियाणा के किसान भी इसी तरह की मांग कर चुके हैं, जहां BKU (भारतीय किसान यूनियन) ने विशेष गिर्दावरी (सर्वे) कराने और मुआवजा जारी करने की मांग उठाई है.  बिहार सरकार ने कृषि इनपुट अनुदान योजना (2025) लाई है, जिसके अंतर्गत 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर तक का मुआवजा दिया जा रहा है उन किसानों को जिनकी फसल बारिश या बाढ़ के कारण बर्बाद हुई है. 

यूपी में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि बारिश से प्रभावित इलाकों में 24 घंटे के भीतर सर्वे हो और मुआवजे की प्रक्रिया तेज़ हो. 

क्या है समस्या की जड़?

इसके अलावा, एक बड़ी समस्या यह है कि जिन किसान के पास जमीन नहीं है वो अक्सर मुआवजे से बाहर रह जाते हैं. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में ऐसे कई किसान हैं जो जमीन पट्टे पर लेकर खेती करते हैं, लेकिन बारिश से फसल बर्बाद हो जाने पर मुआवजे या बीमा सहायता नहीं पा पाते. यह बात न्याय-व्यवस्था में गंभीर कमियों को दर्शाती है, क्योंकि अनगे हुए और पट्टे पर काम करने वाले किसानों की संख्या कम नहीं है.

नए सर्वे की अहमियत और आगे का रास्ता

कंधवाला अमरकोट के किसानों की मांग बिलकुल जायज़ है. कृषि में प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम हमेशा बना रहता है, और ऐसी स्थिति में ईमानदार और व्यापक सर्वेक्षण बहुत जरूरी है. एक ताज़ा सर्वे न केवल किसानों के वास्तविक नुकसान को दिखा सकता है, बल्कि यह सरकारी मुआवजे की प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत भी बना सकता है.

सरकार को चाहिए कि वो किसानों की बात सुने, संयम दिखाए और उनकी मुआवजे की मांग को जल्द पूरा करे. साथ ही, यह देखा जाना चाहिए कि ऐसे सर्वे में स्थानीय अधिकारियों की निष्पक्षता कैसे सुनिश्चित की जाए, ताकि हर प्रभावित किसान को सही मुआवजा मिल सके.

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