
राजस्थान के करौली जिले के सपोटरा में किसानों का बड़ा विरोध प्रदर्शन देखा गया. यहां सीपीसी लिंक योजना के तहत प्रस्तावित डूंगरी बांध परियोजना के विरोध में ग्राम पंचायत जोड़ली के पावर हाउस प्रांगण में रविवार को बड़ी महापंचायत हुई. महापंचायत राजनीतिक आरोप–प्रत्यारोप, नारेबाजी और हंगामे के बीच संपन्न हुई. सभा में हजारों किसान, महिलाओं और युवाओं की भारी मौजूदगी देखी गई. इस महापंचायत की अध्यक्षता अशोक सिंह बाना और संचालन रामसहाय फौजी ने किया.
महापंचायत में पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन को संपूर्ण रूप से गैर-राजनीतिक रखा जाए. राजनीतिक नेताओं की मौजूदगी आंदोलन को कमजोर करती है. उन्होंने किसानों को चेताया कि ट्रकों में आने वाली बांध निर्माण सामग्री “आएगी तो सही, लेकिन वापस नहीं जाएगी”. उन्होंने यह बड़ी बात कहते हुए प्रशासन को चेतावनी दी.
प्रस्तावित बांध स्थल पर आंदोलन समिति को अपना झंडा और चेतावनी बोर्ड लगाने की अपील की. टिकैत ने बिना नाम लिए कहा कि क्षेत्र के वर्तमान और पूर्व विधायकों को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और विधानसभा में किसानों की बात रखनी चाहिए.
इस महापंचायत में अंता विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि किसानों को गांव–गांव, ढाणी–ढाणी पंचायतें कर आंदोलन को मजबूत करना होगा. उन्होंने आंदोलन को “करो या मरो” की रणनीति के साथ आगे बढ़ाने का आह्वान किया.
महापंचायत में करौली धौलपुर सांसद भजनलाल जाटव, पूर्व मंत्री रमेश मीणा, सपोटरा विधायक हंसराज मीणा आदि मौजूद रहे. इस महापंचायत को महिलाओं ने भी संबोधित करते हुए कहा कि वे कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन को मजबूती देंगी.
महापंचायत में कोर कमेटी ने घोषणा की कि 1 दिसंबर तक मुख्यमंत्री से वार्ता सफल नहीं हुई तो 10 दिसंबर से उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा. इसके साथ ही, अतिरिक्त जिला कलेक्टर हेमराज को ज्ञापन सौंपकर परियोजना को रद्द करने की मांग दोहराई गई.
पूर्व मंत्री रमेश चंद मीणा ने परियोजना का विवरण देते हुए कहा कि डूब क्षेत्र में 88 गांव आएंगे. लगभग 21,743 हैक्टेयर (87,000 बीघा) भूमि प्रभावित होगी.
बांध के प्रभाव में जो गांव आएंगे, उनका पुनर्वास किया जाएगा. दो चरणों में पुनर्वास की बात कही जा रही है जिसमें पहले फेज में 68 गांव आएंगे. इस पर कुल लागत 10,045 करोड़ रुपये आएगी. बांध की लंबाई 1600 मीटर होगी जिसका 45% पानी 11 जिलों में जाएगा.
रमेश चंद मीणा ने कहा कि स्थानीय उपखंड सपोटरा और भूरीपहाड़ी क्षेत्र जल संकट से जूझते रहेंगे. उन्होंने कहा कि आंदोलन समिति को परियोजना का पूरा अध्ययन किए बिना भ्रम फैलाना नहीं चाहिए.
इस किसान महापंचायत में जोड़ली, डूंगरी, सपोटरा क्षेत्र सहित आसपास के गांवों से महिलाओं, किसानों, युवाओं, पशुपालकों की भारी मौजूदगी रही. ग्रामीणों ने कहा कि बांध बनने से खेती, आवास, चरागाह और आजीविका का संकट गहरा जाएगा. डूंगरी बांध को लेकर किसानों का ऐलान साफ है कि 1 दिसंबर तक सरकार ने आदेश नहीं दिए तो संघर्ष उग्र होगा. महापंचायत के हंगामेदार माहौल के बावजूद किसानों ने आंदोलन को मजबूत करने का संकल्प लिया.