बीते कुछ वर्षों में खेती में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ते जा रहा है. ऐसी ही एक तकनीक है कृषि ड्रोन. खेती-किसानी में इसका इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है. किसानों के बीच इस तकनीक को अपनाने में केंद्र और राज्य सरकारें भी मदद कर रही हैं, ताकि बेहतर उपज के साथ किसानों के आय में बढ़ोतरी हो सके, लेकिन देश में अभी भी ज्यादातर किसान ऐसे है जो इसके ज्यादा दाम की वजह से इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. ऐसे में सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए खरीद पर भारी छूट दे रही है.
दरअसल सरकार किसानों को ड्रोन खरीदने पर बंपर सब्सिडी दे रही है. वहीं एग्रीकल्चर ड्रोन के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलने का दावा किया जा रहा है. क्योंकि हर ड्रोन के लिए ट्रेंड पायलट चाहिए. कोई भी इसे नहीं चला सकता.
केंद्र सरकार किसानों की फसलों को बचाने और आय को दुगना करने में मदद करने के लिए सब्सिडी मुहैया कर रही है. इसमें किसानों के अलावा कृषि प्रशिक्षण संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों को भी ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी दे रही है. वहीं इस सब्सिडी का लाभ कृषि उत्पादक संगठन भी उठा सकते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक हर साल 35 फीसदी फसल कीट, खरपतवार और बैक्टीरिया के कारण बर्बाद हो जाती है. जिस वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में किसान पारंपरिक तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं. जिस वजह से किसानों के ऊपर कीटनाशक का बुरा प्रभाव पड़ता है. जबकि ड्रोन से छिड़काव करने से पानी, श्रम और पूंजी की बर्बादी नहीं होती. ड्रोन से कीटनाशकों का छिड़काव करने से किसानों के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. वहीं मात्र आठ से दस लीटर पानी में एक एकड़ में कीटनाशक छिड़काव का काम पूरा हो जाता है.