काम की बात: क्या होते हैं कस्टम हायरिंग सेंटर, किसान कैसे ले सकते हैं फायदा? 

काम की बात: क्या होते हैं कस्टम हायरिंग सेंटर, किसान कैसे ले सकते हैं फायदा? 

Custom Hiring Center: राज्य सरकार की ओर से क्रय-विक्रय सहकारी समितियों (केवीएसएस), ग्राम सेवा सहकारी समिति (जीएसएस) और कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से कस्टम हायरिंग केन्द्र बनाए जा रहे हैं. इन केन्द्रों से कोई भी लघु एवं सीमांत किसान कम रेट पर किराये से कृषि उपकरण या यंत्र ले सकता है.

सहकारी समितियों ने हाल ही में कई ट्रैक्टर खरीदे, जिनका फायदा किसानों को मिल रहा. फोटो- DIPRसहकारी समितियों ने हाल ही में कई ट्रैक्टर खरीदे, जिनका फायदा किसानों को मिल रहा. फोटो- DIPR
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • May 04, 2023,
  • Updated May 04, 2023, 12:50 PM IST

खेती में अच्छी पैदावार के लिए किसान की मेहनत, खाद, बीज और सिंचाई के साथ-साथ उसमें काम में लिए गए उपकरणों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. क्योंकि खेती में यंत्रीकरण से उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होती है. लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से ज्यादातर किसान महंगे उपकरण खरीद नहीं पाता. वहीं, बाजार से उपकरण काफी महंगे किराये पर मिलते हैं. गांवों में सीमित  संख्या में उपकरण होने के कारण किसान को समय पर नहीं मिल पाते. ऐसे किसानों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए राज्य सरकार की ओर से क्रय-विक्रय सहकारी समितियों (केवीएसएस), ग्राम सेवा सहकारी समिति (जीएसएस) और कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से कस्टम हायरिंग केन्द्र बनाए जा रहे हैं. 

किसान ने लिया सेंटर से किराए पर थ्रेसर, प्रति घंटा 400 रुपये बचे

जयपुर जिले के धानक्या गांव के रहने वाले किसान भरोसी जाट ने पिछले दिनों कस्टम हायरिंग केंद्र से फसल निकालने के लिए थ्रेशर किराये पर लिया. उन्हें इसका किराया 900 रुपये प्रति घंटे की दर से चुकाया. भरोसी बताते हैं, “अगर मैं बाजार में किसी का निजी थ्रेशर लाता तो उसकी रेट 1300 रुपये प्रति घंटा चल रही है.

कस्टम हायरिंग सेंटर से थ्रेशर मिलने से मुझे 800 रुपये की बचत हुई. क्योंकि दो घंटे थ्रेसर चला. इसी तरह कालवाड़ स्वरूप कुमार कहते हैं कि वे खेत में जुताई, बुवाई और फसल कटाई के लिए कस्टम हायरिंग केंद्र से ही कृषि यंत्र किराए पर लेते हैं. ये बाजार दर से कम किराये पर मिल जाते हैं. इससे काफी पैसा बचता है. 

कृषि उपकरणों की खरीद के लिए आठ लाख की सहायता

कस्टम हायरिंग केन्द्रों को कृषि विभाग की ओर से दी गई सब्सिडी के माध्यम से सहकारिता विभाग कृषि यंत्रों की खरीद के लिए आठ लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता देता है. इन केंद्रों पर ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल जैसे उन्नत कृषि यंत्रों की खरीद की जाती है. किसान अपनी जरूरत के वक्त इन केन्द्रों से कृषि यंत्रों को किराये पर लेते हैं तथा खेती में इस्तेमाल करते हैं. 

ये भी पढ़ें- Rajasthan: कृषि संबंधी योजनाओं के लिए 592 करोड़ रुपए मंजूर, सीएम ने दी स्वीकृति

इस सुविधा से किसानों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता और उनका काम कम किराये में हो जाता है. साथ ही उन्हें उन्नत तकनीकों को काम में लेकर कृषि करना आसान हो जाता है. अच्छे और नई तकनीक से बने कृषि यंत्रों के उपयोग से फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और इससे किसानों की आय बढ़ती है. इन केन्द्रों के माध्यम से लघु एवं सीमांत कृषकों को कम दर पर कृषि यंत्र किराए पर मिल रहे हैं. वहीं, सहकारी समितियां भी मजबूत हो रही हैं.
 

ये भी पढ़ें- दुन‍िया के सबसे बड़े कृषि सिस्टम ICAR में बड़े बदलाव की तैयारी, हाई लेवल कमेटी गठ‍ित

Supari ki Kheti: सुपारी की खेती कैसे करें, ये किसानों के लिए कितनी फायदेमंद, देखें Video

MORE NEWS

Read more!